भारत भी कराएगा अंतरिक्ष की सैर, स्‍पेस टूरिज्‍म पर काम कर रहा ISRO

भारत मिशन गगनयान (Gaganyaan) के तहत अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान पर भी काम कर रहा है।

भारत भी कराएगा अंतरिक्ष की सैर, स्‍पेस टूरिज्‍म पर काम कर रहा ISRO

इसरो ने अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में 61 देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संबंधों को आगे बढ़ाया है।

ख़ास बातें
  • स्‍पेस टूरिज्‍म एक महंगा पर्यटन है
  • हाल में Axiom Space ने तीन बिजनेसमैन को अंतरिक्ष में भेजा था
  • एक यात्री से करीब 420 करोड़ रुपये चार्ज किए थे
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स्‍पेस टूरिज्‍म एक महंगा पर्यटन है। इस साल अप्रैल में जब अमेरिकी कंपनी Axiom Space ने तीन बिजनेसमैन को इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) की यात्रा कराई, तो बताया जाता है कि एक यात्री से करीब 420 करोड़ रुपये चार्ज किए गए। फ‍िलहाल इस सेक्‍टर में नासा के सहयोग से Axiom Space और स्‍पेसएक्‍स जैसी कंपनियां बाजार बनाने में जुटी हैं। भारत भी अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में स्‍वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लो अर्थ ऑर्बिट में मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता के प्रदर्शन के जरिए स्‍पेस टूरिज्‍म के लिए देशी क्षमताओं को डेवलप कर रहा है। 

रिपोर्टों के अनुसार, राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल स्‍पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने भी अंतरिक्ष पर्यटन को शामिल करने समेत इन गतिविधियों में प्राइवेट सेक्‍टर की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने की मांग की। अंतरिक्ष कूटनीति पर एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में 61 देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संबंधों को आगे बढ़ाया है।

गौरतलब है कि ‘इन-स्पेस', अंतरिक्ष विभाग के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट सेक्‍टर की गतिविधियों को बढ़ावा देने उन्हें अधिकृत करने के लिए एक सिंगल विंडो एजेंसी है। एक और सवाल के जवाब में जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग एक व्यापक, इंटीग्रेटेड स्‍पेस पॉलिसी तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो प्राइवेट स्‍पेस इंडस्‍ट्री की गतिविधियों को दिशा देगा। 

गौरतलब है कि भारत मिशन गगनयान (Gaganyaan) के तहत अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान पर भी काम कर रहा है। हाल में सरकार की ओर से यह बताया जा चुका है कि अगले साल तक भारत इंसानों को अंतरिक्ष में भेज देगा। एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में जितेंद्र सिंह ने बताया था कि अगले साल भारतीय मूल के एक या दो लोग अंतरिक्ष में जाएंगे। अंतरिक्ष में देश के पहले ह्यूमन मिशन के पास खाने की एक बड़ी वैरायटी होगी। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की मैसूर स्थित एक लेबोरेटरी में तैयार किया जा रहा है। 

इस साल के आखिर तक दो परीक्षण किए जाने की तैयारी है। पहला परीक्षण सिर्फ टेस्टिंग होगा इसमें मानव रहित यान को भेजा जाएगा, जबकि दूसरी बार में एक महिला रोबोट (अंतरिक्ष यात्री) को भेजा जाएगा। इसका नाम व्योमित्र है। ट्रायल के रिजल्‍ट को देखते हुए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजे जाने पर फाइनल फैसला होगा।  

 
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