पृथ्वी की कक्षा में भारत का सातवां और अंतिम नौवहन उपग्रह 28 अप्रैल को छोड़ा जाएगा। इसके बाद भारत का संपूर्ण उपग्रह नौवहन प्रणाली तैयार हो जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के. शिवन ने इस बारे में बताया, "इस श्रंखला का सातवां और अंतिम उपग्रह 28 अप्रैल की दोपहर लांच किया जाएगा। आईआरएनएसएस-1जी (इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम-1जी) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के जरिए अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा।"
पीएसएलवी को 28 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाएगा, जो यहां से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अब तक भारत ने अपना उपग्रह नौवहन प्रणाली तैयार करने के लिए छह क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह छोड़े हैं, जिनके नाम हैं आईआरएएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई और 1 एफ। इस नए उपग्रह के साथ कुल सात उपग्रह हो जाएंगे और इन सातों उपग्रहों के अंतरिक्ष में स्थापित हो जाने के बाद देश के सभी इलाकों में उपयोकर्ताओं को उनकी स्थिति की सटीक जानकारी मिलेगी।
हालांकि इस प्रणाली में कुल नौ उपग्रहों का प्रयोग किया जाएगा, जिसमें से सात धरती की कक्षा में होंगे और दो धरती पर लगाए जाएंगे। इसरो के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
भारत की अपनी नौवहन प्रणाली तैयार हो जाने पर हमें इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। फिलहाल दुनिया में अमेरिका का जीपीएस और रूस का ग्लोनास, यूरोप का गैलीलियो और चीन का बैदू ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है। जहां जीपीएस और ग्लोनास दुनिया के सभी हिस्सों में उपलब्ध हैं, वहीं बाकी प्रणालियां स्थानीय स्तर पर काम करती हैं।
इसरो के अध्यक्ष ए. एस. किरण कुमार ने कहा, "इस दौरान इन उपग्रहों के लिए इसरो फ्रंट-इंड रेडियो फ्रीक्वेंसी चिप विकसित करने पर काम चल रहा है। इस साल के अंत तक इसके शुरुआती संस्करण के आने की संभावना है।"
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