यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को सिर्फ बर्बाद करने के लिए लॉन्च करना चाहती है। वह सैटेलाइट उड़ान भरेगा, अपनी मंजिल तक पहुंचेगा और फिर एक खास मकसद के लिए खत्म हो जाएगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ESA देखना चाहती है कि कोई सैटेलाइट पृथ्वी पर री-एंट्री के दौरान किस तरह से टूटता है। इस मिशन के लिए ESA ने यूरोप की एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। फिलहाल मिशन का नाम डिस्ट्रक्टिव रीएंट्री असेसमेंट कंटेनर ऑब्जेक्ट (DRACO) रखा गया है। DRACO स्पेसक्राफ्ट का सिर्फ एक लक्ष्य होगा कि जब वह पृथ्वी पर री-एंट्री करके बर्बाद होगा, तो उससे जुड़ा डेटा जुटाएगा।
स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन को साल 2027 में लॉन्च किए जाने की योजना है। रिपोर्ट के अनुसार, मिशन के जरिए ESA समझना चाहती है कि कोई सैटेलाइट कैसे टूटता है। अगर इसका पता चल पाता है तो भविष्य में सैटेलाइट्स को इस तरह से डिजाइन किया जा सकेगा कि धरती पर गलत तरह से री-एंट्री करने के बावजूद वह टूटेंगे नहीं।
ESA का मिशन यह जानने में भी मदद करेगा कि किसी स्पेसक्राफ्ट की धरती पर री-एंट्री से पर्यावरण को क्या असर होता है। स्पेसक्राफ्ट और उसके हिस्से हमारे वायुमंडल के साथ कैसे रिएक्ट करते हैं। उनकी वजह से कोई बायप्रोडक्ट तो नहीं बनता।
What is DRACO Spacecraft
DRACO स्पेसक्राफ्ट का साइज किसी वॉशिंग मशीन जितना होगा। वजन में 200 किलो के स्पेसक्राफ्ट को नॉर्मल स्पेसक्राफ्ट की तरह ही टूटने के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि इसमें 40 सेंटीमीटर का एक कैप्सूल लगाया जाएगा, जो सेफ रहेगा और सारा डेटा रिकॉर्ड करेगा। सैटेलाइट के टूटने के बाद कैप्सूल को पैराशूट की मदद से नीचे लाया जाएगा। इस दौरान DRACO स्पेसक्राफ्ट में लगे 4 कैमरे रिकॉर्ड करेंगे कि स्पेसक्राफ्ट कैसे टूटता है।
दुनियाभर के देश स्पेस में मिशन लॉन्च करते हैं। मिशन पूरा होने के बाद सैटेलाइट पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में भटकते रहते हैं और कई बार धरती पर री-एंट्री कर जाते हैं।