धरती के घूमने की रफ्तार जुलाई और अगस्त में 3 दिनों पर हो सकती है तेज

धरती के घूमने की रफ्तार के बढ़ने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। धरती के अंदर कुछ गतिविधियों से भी यह हो सकता है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 5 जुलाई 2025 16:10 IST
ख़ास बातें
  • धरती के घूमने की रफ्तार के बढ़ने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं
  • इस वजह से 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को दिन की अवधि कुछ कम हो सकती है
  • धरती पर अल नीनो जैसी मौसम से जुड़ी स्थितियां भी एक कारण हो सकता है

इसके परिणाम में कुछ दिन छोटे होंगे

धरती के घूमने की गति जुलाई और अगस्त में कुछ तेज होने का अनुमान है। इसके परिणाम में दिन छोटे होंगे। धरती के अपनी धुरी या एक्सिस पर घूमने या रोटेशन की गति 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को तेज हो सकती है। हालांकि, इन दिनों की अवधि में बहुत कम अंतर होगा। यह मिलिसेकेंड्स का होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, 5 अगस्त को दिन की अवधि औसत से लगभग 1.51 मिलिसेकेंड्स कम हो सकता है। 
 
timeanddate.co की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि धरती के घूमने की रफ्तार के बढ़ने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। धरती के अंदर कुछ गतिविधियों से भी यह हो सकता है। धरती अपनी धुरी पर 365 बार से कुछ अधिक घूमती है और ये एक वर्ष में दिनों की संख्या होती है। हालांकि, इस स्थिति में बदलाव भी हो सकता है। विभिन्न अनुमानों से यह पता चलता है कि धरती के सूर्य के आसपास घूमने की अवधि 372 दिनों से लगभग 490 दिनों तक की रही है। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार पर ग्लेशियर्स का पिघलना भी असर डाल सकता है। धरती पर अल नीनो और ला नीना जैसी मौसम से जुड़ी स्थितियां भी एक कारण हो सकती हैं। इनसे धरती पर भार का वितरण बदलता है जिससे इसके घूमने की गति पर असर हो सकता है। इसके लिए चंद्रमा भी जिम्मेदार हो सकता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष तीन संभावित तिथियों पर धरती की भूमध्यरेखा से चंद्रमा अपनी अधिकतम दूरी पर होगा। इन दिनों की अवधि कम हो सकती है। National Institute of Standards and Technology की टाइम एंड फ्रीक्वेंसी डिविजन के फिजिसिस्ट, Judah Levine ने बताया था कि इस अंतर को मापने के लिए लीप सेकेंड्स में अनुमान लगाने होगा। 

हालांकि, इससे पहले वैज्ञानिकों ने लीप सेकेंड्स को लेकर पूर्वानुमान नहीं लगाया था। ऐसा अनुमान था कि धरती की गति कम होती रहेगी और इसकी गणना के लिए लीप सेकेंड्स की जरूरत होगी। धरती के घूमने की गति बढ़ने से समय को मापने के वैश्विक तरीके में बदलाव करने की भी जरूरत हो सकती है। इस वजह से 2029 में पहली बार एक लीप सेकेंड को घटना पड़ सकता है। 
 

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