सूर्य में हो रहीं गतिविधियां आए दिन पृथ्वी को मुसीबत में डाल रही हैं! सोलर मैक्सिमम वह अवधि है, जिसने सूर्य को बहुत ज्यादा ‘उग्र' कर दिया है। इस वजह से सूर्य से सौर तूफान निकल रहे हैं।
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की घटनाएं हो रही हैं और सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी तक आ रहे हैं। साल 2025 तक यह सिलसिला जारी रहेगा। तब तक हमारे ग्रह को अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट, पावर ग्रिडों पर असर, सैटेलाइट्स के बर्बाद होने का खतरा जैसी चुनौतियों से जूझना होगा।
आने वाले दिनों में एक और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) पृथ्वी से टकरा सकता है और हमारे ग्रह पर भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic storm soon) शुरू कर सकता है। स्पेसवेदरडॉटकॉम ने
बताया है कि यह सीएमई 9 जून को सूर्य से निकला था। अंतरिक्ष का सफर करते हुए यह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। अगर यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ टकराता है तो हमारे ग्रह पर G1 कैटिगरी का भू-चुंबकीय तूफान आ सकता है। कल यानी 13 जून को यह तूफान पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है।
अच्छी बात यह है कि भू-चुंबकीय तूफान इंसानों को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करते। मसलन- हमें जान-माल के नुकसान का खतरा नहीं है। इन तूफानों की वजह से आसमान में ऑरोरा दिखाई देते हैं। ये तूफान सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मोबाइल नेटवर्क और जीपीएस सिस्टम्स पर असर हो सकता है। तीव्रता अधिक होने पर ऐसे तूफान पावर ग्रिडों को फेल कर सकते हैं।
सूर्य में हो रही हलचलों का पता लगाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के सैटेलाइट्स दिन-रात काम करते हैं। उन्हीं में से एक है SOHO जिसका पूरा नाम है- सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी। इस सैटेलाइट को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने मिलकर तैयार किया है, जो साल 1995 से सूर्य पर नजर रख रहा है। इस सैटेलाइट ने कई बड़े सौर तूफानों से जुड़ीं सूचनाएं पृथ्वी तक पहुंचाई हैं।