लो-अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा जोकि धरती से 400 किलोमीटर ऊपर मानी जाती है। वहां हजारों की संख्या में सैटेलाइट्स मौजूद हैं और पृथ्वी से कंट्रोल किए जा रहे हैं। इसी जगह पर ऐसे सैटेलाइट्स की भी भरमार है, जो ‘कचरा' हो गए हैं और एक ना एक दिन धरती पर गिरेंगे या गिराए जाएंगे। इस स्पेस कचरे से सावधानी पूर्वक निपटने की जिम्मेदारी हर उस देश की स्पेस एजेंसी लेती है, जो अंतरिक्ष में अपने मिशन भेजती है। पर क्या चीन अंतरिक्ष के लिए बनाए गए नियमों को तोड़ रहा है?
यह सवाल खड़ा हुआ है, क्योंकि चीन पर नियमों को तोड़ने का आरोप लग रहा है। साल 2022 में जब एक चीनी रॉकेट का बूस्टर अनियंत्रित होकर धरती पर गिरा, तो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) के चीफ बिल नेल्सन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि रॉकेट बूस्टर के गिरने से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, पर भविष्य के लिए खतरों के संकेत मिल गए।
The Sun US से
बातचीत में अंतरिक्ष मलबे के एक्सपर्ट प्रोफेसर जॉन एल. क्रैसिडिस ने अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से गिरने वाला मलबा समस्या पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि लो-अर्थ ऑर्बिट में परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट और मलबा, वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पृथ्वी पर आने वाली अधिकांश चीजें प्रशांत महासागर में एक निर्जन इलाके में कंट्रोल्ड तरीके से गिराई जाती हैं। इसमें कोई खतरा नहीं है।
क्रैसिडिस ने आरोप लगाया कि चीन नियमों का पालन नहीं कर रहा। उसने अपने लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट फेज को कंट्राेल नहीं किया। दुनिया की बड़ी एजेंसियों के साथ उसके लैंडिंग रूट को भी शेयर नहीं किया, जो जोखिम पैदा करता है।