अगर आपका दिमाग भी दिनभर के विचारों की धारा में गोते खाता हुआ थक जाता है तो यह खबर आपके लिए बहुत ही काम की साबित हो सकती है। एक नई स्टडी कहती है कि दिमागी थकान को दूर करने के लिए यह अपने अंदर के जहरीले पदार्थों की सफाई कर सकता है। यानि कि दिमाग में फ्लश सिस्टम के होने की संभावना पाई गई है। नई खोज कहती है कि एक खास प्रकार का विजुअल इस तरह की उत्तेजना पैदा की जा सकती है जिससे दिमाग अपने अंदर जमा हुए कचरे को साफ कर सकता है।
बॉस्टन यूनिवर्सिटी की ओर से यह खबर आई है जिसमें यह स्टडी कंडक्ट की गई है। New Scientist की
रिपोर्ट के अनुसार, दिमाग में गंभीर न्यूरल एक्टिविटी को शुरू करके इसके डिस्पोजल सिस्टम को एक्टिवेट किया जा सकता है। यानि कि अगर दिमाग को ऐसा गंभीर उत्तेजक प्रभाव दिया जाए तो वह अपने आप ही वेस्ट मैटिरियल को फ्लश आउट कर देगा। वहीं, इससे पहले आईं स्टडीज कहती हैं कि सोने के दौरान दिमाग अपने अंदर के वेस्ट मैटिरियल को बाहर निकाल देता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हैरान कर देने वाली बात ये सामने आई है कि यह जागते हुए इंसानों में भी काम कर सकता है। दिमाग में एक खास तरह के तरल पदार्थ का फ्लो पाया गया है जिसे सेरीब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड (cerebrospinal fluid) कहते हैं। 2012 में इससे संबंधित एक खोज की गई थी। जिसमें पाया गया था कि दिमाग के डिस्पोजल सिस्टम के लिए यही फ्ल्यूड काम करता है जो कि
दिमाग में भेजा जाता है और महीन ट्यूब्स में से होता हुआ पास होकर बाहर निकल जाता है। इसे ग्लिम्फैटिक सिस्टम (glymphatic system) का नाम दिया गया।
इस बारे में
रिसर्च कहती है कि यह फ्ल्यूड कुछ हानिकारक तत्वों को भी दिमाग से बाहर निकाल ले जाता है जो कि अल्जाईमर और पार्किंसन जैसे डिसॉर्डर के लिए कारण माने जाते हैं। इनमें बीटा अमायलॉयड और एल्फा साइन्यूक्लीन आदि का नाम शामिल है। स्टडी से जुड़े मिस्टर ल्यूस की टीम ने इसके लिए अलग-अलग टूलों और स्कैनिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया। रिसर्च में 20 वालेंटियर शामिल किए गए जिनके सामने देखने के लिए एक स्क्रीन रखी गई। इन्हें एक ऐसा विजुअल पैटर्न दिखाया गया जिससे कि दिमाग पर भारी जोर पड़े।
पैटर्न को देखने के बाद इन लोगों के रक्त के प्रवाह में तेजी पाई गई। वहीं, स्क्रीन जब काली हो जाती थी तो ब्लड फ्लो फिर से कम हो जाता था और दिमाग में सेरीब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड का प्रवाह बढ़ जाता था। वैज्ञानिक अभी इसके बारे में और अधिक रिसर्च कर रहे हैं और इस फ्ल्यूड के काम करने की प्रणाली को समझने की कोशिश कर रहे हैं। जल्द ही यह संभव हो सकता है कि दिमाग में फ्लश आउट सिस्टम को जागने के समय भी एक्टिवेट किया जा सके।