वैज्ञानिकों को एक ऐसा जीव मिला है जिसने अब तक की सभी धारणाओं को गलत साबित कर दिया है। प्रकृति में हर चीज का जीवाश्म यानि कि फॉसिल बनता है जिसके बारे में हजारों सालों के बाद भी शोध करके अध्य्यन किया जा सकता है। वहीं, दिमाग के जीवाश्म के बारे में यह माना जाता रहा है कि दिमाग का जीवाश्म नहीं बनता है। लेकिन अब करोड़ों साल पुराने दिमाग के मिले जीवाश्म ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। यह एक समुद्री कीड़े के दिमाग का जीवाश्म कहा जा रहा है। जो कि अब तक मिला सबसे पुराना जीवाश्म या फॉसिल है। इन्हें आर्थ्रोपोड्स कहा जाता है। ऐसे जीव जिनमें रीड की हड्डी नहीं होती है लेकिन धड़ सख्त होता है, और इनके पैर जोड़ों के स्थान पर से मुड़ भी सकते हैं।
किंग्स कॉलेज लंडन में इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री, साइकोलॉजी और न्यूरोसाइंस के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी ऑफ एरीजोना ने एक स्टडी की है जिसने सैकडों वर्षों पुराने विवाद को सुलझा दिया है। इससे साफ हो गया है कि कैसे आज से लगभग 52.5 करोड़ साल पहले आर्थ्रोपोड्स के दिमाग का विकास हुआ होगा। इस स्टडी को
साइंस में पब्लिश किया गया है जिसे डॉक्टर फ्रैंक हिर्थ और प्रोफेसर निकोलस स्ट्रॉसफेल्ड ने लीड किया है। इस जीव का नाम कार्डियोडिक्ट्योन कैटिनूलम (Cardiodictyon catenulum) बताया गया है जो चीन के युन्नान में मिला है।
इस जीव के जीवाश्म का साइज 1.5सेमी है। इसका अर्थ यह है कि सैम्पल को एक्स-रे भी नहीं किया जा सकता था। लेकिन शोधकर्ताओं ने इसके लिए दूसरी तकनीक का इस्तेमाल किया जिसे क्रोमैटिक फिल्टरिंग कहा जाता है। इससे हाइ रिजॉल्यूशन की डिजिटल इमेज तैयार की जाती है जिसमें अलग अलग वेवलेंथ पर लाइट को फिल्टर किया जाता है। इस तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों को इसके खंडित नर्वस सिस्टम का पता लगा जो कि इस जीव के धड़ में मौजूद था। इसमें जीव का दिमाग भी पाया गया है।
शोधकर्ताओं ने इस जीवाश्म के सिर और दिमाग की मॉर्फोलॉजी को दूसरे खोजे गए फॉसिल्स के साथ तुलना करके देखा, साथ में वर्तमान में मौजूद आर्थ्रोपॉड्स के साथ भी इसकी तुलना की। उन्होंने पाया कि इनका सेरिब्रल ग्राउंड पैटर्न 52.5 करोड़ सालों से अब तक वैसा ही चला आ रहा है। डॉक्टर हिर्थ ने आगे बताते हुए कहा कि हमने सभी दिमागों में एक कॉमन सिग्नेचर मिला है। हर एक दिमाग के फीचर्स उसी तरह की जीन्स की कॉम्बिनेशन से मिलकर बने हैं, चाहे प्रजाति कोई भी हो। इससे दिमाग की बनावट के लिए एक कॉमन ग्राउंड प्लान के बारे में पता चलता है, यानि कि प्रकृति ने दिमाग की मूल संरचना गहरे तल पर एक जैसी ही रखी है।