मंगल पर 'मकड़ियों की फौज'! यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने किया फोटो का खुलासा

एजेंसी ने कहा कि ये धब्बे भले ही स्पेस से देखने पर छोटे लगते हों, लेकिन ये असल में बहुत बड़े हैं। इनमें छोटे से छोटा धब्बा भी 145 फीट का है, और बड़ा धब्बा आधे मील तक बड़ा हो सकता है।

मंगल पर 'मकड़ियों की फौज'! यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने किया फोटो का खुलासा

Photo Credit: ESA

फोटो में हजारों मकड़ियों जैसी आकृति दिख रही हैं।

ख़ास बातें
  • मंगल के साउथ पोल क्षेत्र में मकड़ियों के निशान।
  • छोटी आकृति हैं जो ग्रह पर सर्दियों के समय बनती हैं-ESA
  • नीचे जमी CO2 गैस बनने लगती है और बर्फ को तोड़कर बाहर निकलती है।
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मंगल पर स्पेस एजेंसियों के खोज अभियान लगातार जारी हैं। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने हाल ही में मंगल की एक हैरान करने वाली फोटो शेयर की है, जिसमें हजारों मकड़ियों जैसी आकृति दिख रही हैं। तो क्या मंगल पर मकड़ियां घूम रही हैं? फोटो को ESA के Mars Express स्पेसक्राफ्ट ने कैप्चर किया है। मंगल की सतह पर एक जगह को Inca City के नाम से जाना जाता है। यहीं पर इस तरह की मकड़ियों जैसी आकृति को देखा गया है। 

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि Inca City के पास जिगी स्टारडस्ट का कोई निशान नहीं है। लेकिन ईएसए के मार्स एक्सप्रेस ने मंगल के साउथ पोल क्षेत्र में मकड़ियों के निशानों को कैप्चर किया है। एजेंसी ने साफ किया कि जाहिर तौर पर ये मकड़ियां नहीं हैं। ये सिर्फ छोटी आकृति हैं जो ग्रह पर सर्दियों के समय बनती हैं। जब सूरज की किरणें जमा हुई कार्बन डाइऑक्साइड पर पड़ती हैं तो इस तरह की आकृति बनती हैं। सूरज की किरणों के पड़ने से नीचे जमी कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनने लगती है और बर्फ को तोड़कर बाहर निकलती है। यह बर्फ तीन फीट तक मोटी हो सकती है। 

एजेंसी ने कहा कि ये धब्बे भले ही स्पेस से देखने पर छोटे लगते हों, लेकिन ये असल में बहुत बड़े हैं। इनमें छोटे से छोटा धब्बा भी 145 फीट का है, और बड़ा धब्बा आधे मील तक बड़ा हो सकता है। Newsweek के अनुसार, इस तरह के मकड़ी वाले पैटर्न 2020 में देखे गए थे। उस समय ये पैटर्न ExoMars Trace Gas Orbiter ने देखे थे जिसे 2016 में लॉन्च किया गया था। यह ऑर्बिटर मंगल पर जीवन के पुराने निशानों की खोज करने में लगा है। 

ये काले धब्बे मंगल के एक एरिया के बाहरी हिस्से में मौजूद हैं जिसे Inca City कहा जाता है। इस क्षेत्र को 1972 में नासा के एक स्पेसक्राफ्ट ने खोजा था। इसे Angustus Labyrinthus भी कहा जाता है। यह क्षेत्र मंगल के दक्षिणी ध्रुवीय कैप के पास मौजूद है। एजेंसी के अनुसार, अभी इस बात का पता नहीं है कि यह क्षेत्र कैसे बना होगा। लेकिन कयास लगाए गए हैं कि रेत के टीले समय के साथ पत्थर में तब्दील हो गए होंगे। Mars Express स्पेसक्राफ्ट मंगल पर 2003 में पहुंचा था। दो दशकों से यह मंगल के वातावरण की जांच कर रहा है। मंगल की सतह पर पानी के निशानों की खोजबीन कर रहा है। इसने मंगल के दो चंद्रमाओं की सतह को भी टटोला है। 
 
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हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

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