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पृथ्‍वी से चंद्रमा के पहाड़ देखने के लिए जुटे दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिक

यह पर्वत श्रृंखलाएं ग्रेट इम्ब्रियम बेसिन के चारों ओर फैली हुई हैं। यह बेसिन लगभग 4 अरब साल पहले अंतरिक्ष के प्रभाव से चंद्र सतह पर बना एक विशाल लावा प्‍लेन है।

पृथ्‍वी से चंद्रमा के पहाड़ देखने के लिए जुटे दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिक

4 सितंबर को यह क्षेत्र दूरबीन की मदद से दिखाई देने वाला था।

ख़ास बातें
  • चंद्रमा पर सबसे बड़ा बेसिन है ग्रेट इम्ब्रियम
  • इसके चारों ओर पहाड़ मौजूद हैं
  • इनमें कुछ पर्वत श्रृंखलाएं कई किलोमीटर ऊंची हैं
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आसमान में होने वाली घटनाओं में दिलचस्‍पी रखने वालों के लिए रविवार का दिन बेहद खास रहा। पृथ्‍वी से लाखों किलोमीटर दूर स्थि‍त हमारे उपग्रह चंद्रमा पर शानदार पर्वत श्रृंखलाओं का नजारा देखने के लिए दुनियाभर में स्‍काईवॉचर्स जुटे। यह पर्वत श्रृंखलाएं ग्रेट इम्ब्रियम बेसिन (great Imbrium Basin) के चारों ओर फैली हुई हैं। यह बेसिन लगभग 4 अरब साल पहले अंतरिक्ष के प्रभाव से चंद्र सतह पर बना एक विशाल लावा प्‍लेन है। लगभग 721 मील (करीब 1160 किलोमीटर) के व्यास के साथ यह चंद्रमा पर सबसे बड़ा बेसिन है। यह हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े क्रेटरों में से एक है। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्रेट इम्ब्रियम बेसिन के सबसे दूर उत्तर में लूनार आल्‍प्‍स है। यहां 173 मील (280 किलोमीटर) तक फैली सैकड़ों चोटियां हैं। इनमें सबसे ऊंची चोटी माउंट ब्लैंक (Mount Blanc) चंद्र सतह से 2.2 मील (3.6 किलोमीटर) ऊपर है। 4 सितंबर को यह क्षेत्र दूरबीन की मदद से दिखाई देने वाला था।

लूनार आल्‍प्‍स के नीचे और चंद्रमा के दक्षिण-पूर्व में काकेशस पर्वत श्रृंखला भी है। यह ग्रेट इम्ब्रियम बेसिन के मैदान में खत्‍म होती है। इसी तरह एपेनाइन के पर्वत (Apennine Mountains) इम्ब्रियम बेसिन के दक्षिण-पूर्वी किनारे की सीमा पर हैं। यह एक ऊबड़-खाबड़ पर्वत श्रृंखला है, जो एक चंद्र क्रेटर एराटोस्थनीज (Eratosthenes) से ऊपर की ओर उठती है और पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ती है। 

उम्र के लिहाज से ग्रेट इम्ब्रियम बेसिन को दूसरा सबसे छोटा चंद्र बेसिन माना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह लगभग 3.85 अरब साल पहले बना, जब एक प्रोटो-ग्रह चंद्रमा से टकराया था। यह लगभग वही वक्‍त माना जाता है, जब चंद्रमा पर लेट हेवी बॉम्बार्डमेंट (LHB) हुई थी। इसे चंद्रमा पर आई प्रलय के रूप में जाना जाता है। इस दौरान चंद्रमा समेत अन्‍य ग्रहों में स्‍पेस रॉक से काफी असर हुआ था। 

स्‍पेस रॉक की बमबारी की कोई ठोस वजह तो पता नहीं है, हालांकि कुछ प्‍लैनेटरी साइंटिस्‍ट का मानना है कि यह तब हुआ होगा जब सौर मंडल के विशाल ग्रहों ने गैस, धूल यहां तक ​​कि छोटी अंतरिक्ष चट्टानों जैसे लूज मटीरियल के साथ इंटरेक्‍शन करते हुए अपने ऑर्बिट को बदल लिया। इसने मंगल और बृहस्पति के बीच एस्‍टरॉयड बेल्ट और सौर मंडल के बाहरी किनारे पर कुइपर बेल्ट के धूमकेतु को डिस्‍टर्ब किया होगा। इससे मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध और चंद्रमा पर सबसे ज्‍यादा असर पड़ा होगा। 
 

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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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