अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अपोलो 11 (Apollo 11) मिशन को 50 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है। इस मिशन के जरिए ही पहली बार इंसान ने चंद्रमा पर कदम रखा था। इसे सेलिब्रेट करते हुए स्पेस एजेंसी ने एक वीडियो शेयर किया है। इसमें दिखाया गया है कि मिशन के इतने साल बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों के कदमों के निशान चंद्रमा पर बने हुए हैं। इस वीडियो को लूनर रीकानसन्स ऑर्बिटर से रिकॉर्ड किया गया था। नासा ने ट्विटर अकाउंट से इसे शेयर किया है, जिसे हजारों लाइक्स और रीट्वीट मिले हैं।
वीडियो उस स्पॉट पर जूम करता है, जहां अंतरिक्ष यात्रियों ने लैंडिंग की थी। चंद्रमा पर सबसे पहले कदम रखने वालों में नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन का नाम आता है। बज़ एल्ड्रिन तो इस मिशन से जुड़ी कुछ खास चीजों की नीलामी भी 26 जुलाई को करने जा रहे हैं। इसमें वह जैकेट भी शामिल है, जो उन्होंने चंद्रमा पर रहते हुए पहनी थी। माना जा रहा है कि वह जैकेट 2 मिलियन डॉलर तक नीलाम हो सकती है।
बहरहाल, बात करें नासा के वीडियो की, तो वह जूम करते हुए उस जगह तक पहुंच जाता है, जहां अंतरिक्ष यात्रियों ने लैंड किया था। नासा ने कहा है कि उस जगह पर आज भी अंतरिक्ष यात्रियों के कदमों के निशान मौजूद हैं। अपोलो 11 मिशन ने 16 जुलाई 1969 को उड़ान भरी थी। उसी साल अंतरिक्ष यात्रियों ने वहां लैंड किया था।
एक ओर नासा इस वीडियो के जरिए अपनी उपलब्धि को दर्शा रही है, वहीं आर्टिमिस मिशन के जरिए वह एक बार फिर से मून मिशन की तैयारी कर रही है। इस बार ना सिर्फ इंसानों को चंद्रमा पर लैंड कराने की योजना है, बल्कि उनके लिए वहां अस्थायी बसेरा भी तैयार करना है। मिशन कामयाब रहता है, तो नासा इसके बाद मंगल ग्रह पर उतरने की योजना भी बनाएगी। हालांकि आर्टिमिस मिशन अपने तय लक्ष्य से पीछे चल रहा है। इसे जिस SLS रॉकेट पर लॉन्च किया जाना है, वह अब जाकर अपने परीक्षण पर खरा उतर पाया है। माना जा रहा है कि इस साल के आखिर तक इस मिशन को लॉन्च किया जा सकता है।
‘आर्टिमिस 1' मिशन एक तरह की टेस्टिंग होगी। इसमें कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं होगा। यह मिशन इंसान को दोबारा चांद पर ले जाने की रूपरेखा तैयार करेगा। नासा की तैयारी साल 2025 तक इंसान को दोबारा चांद पर लैंड कराने की है।