13 देशों के 280 वैज्ञानिक उड़ाएंगे एक गुब्‍बारा, जानें इसकी वजह

प्रोजेक्‍ट का नाम ‘एक्सट्रीम स्पेस बैलून ऑब्जर्वेटरी’ (Extreme Space Balloon Observatory) है। इसे EUSO-SPB2 के रूप में भी जाना जाता है।

13 देशों के 280 वैज्ञानिक उड़ाएंगे एक गुब्‍बारा, जानें इसकी वजह

हाई टेक बैलून में फ‍िट होकर उड़ान भरने वाली इस ऑब्‍जर्वेट्री को अगले साल तक लॉन्‍च किया जा सकता है।

ख़ास बातें
  • मिशन के तहत आउटर स्‍पेस में मैसेंजर्स की खोज की जाएगी
  • यह एक एक छोटा, हाई एनर्जी पार्टिकल है
  • वैज्ञानिक आजतक इसके सोर्स का पता नहीं लगा पाए हैं
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13 देशों के 77 संस्‍थान और उनके 280 रिसर्चर एक मिशन पर मिलकर काम कर रहे हैं। इस मिशन में नासा के एक हाई-एल्‍टीट्यूट बैलून (गुब्‍बारा) पर लगे दो इंस्‍ट्रूमेंट महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह बैलून और उसका कार्गो फिलहाल निर्माण और असेंबली के फाइनल स्‍टेज में है। प्रोजेक्‍ट का नाम ‘एक्सट्रीम स्पेस बैलून ऑब्जर्वेटरी' (Extreme Space Balloon Observatory) है। इसे EUSO-SPB2 के रूप में भी जाना जाता है। मिशन के तहत आउटर स्‍पेस में मैसेंजर्स की खोज की जाएगी, जो एक छोटा, हाई एनर्जी पार्टिकल है और अंतरिक्ष में कहीं से आकर पृथ्वी से टकराता है। 

रिपोर्टों के अनुसार, काम पूरा होने के बाद ‘EUSO-SPB2' दक्षिणी गोलार्ध की परिक्रमा करेगा। यह डेटा को इकट्ठा करने और दो तरह के पार्टिकल्‍स द्वारा छोड़े गए ट्रेल्स को देखने के लिए पृथ्वी से लगभग 20 मील ऊपर हवा की धारा के साथ बहेगा। 

स्‍पेस में दो तरह के पार्टिकल्‍स का पता लगाने के लिए EUSO-SPB2 दो अलग-अलग टेलीस्कोप ले जाएगा। इनमें से एक पार्टिकल को ‘अल्ट्रा-हाई एनर्जी कॉस्मिक रे' कहा जाता है। ये चार्ज्‍ड पार्टिकल्‍स होते हैं। इनमें अंतरिक्ष में कहीं से बहुत अधिक ऊर्जा एक्‍सीलरेट होती है और ये कभी-कभी पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं। माना जाता है कि ये ब्रह्मांड में अबतक खोजे गए सबसे ऊर्जावान पार्टिकल्‍स हैं। 

वहीं, दूसरा पार्टिकल न्यूट्रिनो (neutrino) है। माना जाता है कि दोनों पार्टिकल्‍स हमारी आकाशगंगा यानी मिल्‍की-वे के बाहर से आए हैं। संभवत: दूर की आकाशगंगाओं से। लेकिन अभी तक कोई भी उनके ओरिजन यानी मूल सोर्स का पता नहीं लगा पाया है। वैज्ञानिकों को इन पार्टिकल्‍स की उत्पत्ति पर नजर रखने में बहुत दिलचस्पी है। इससे उनके निर्माण का पता चलने की उम्‍मीद है। खास यह भी है कि ये पार्टिकल, मैटर के साथ बहुत कम इंटरेक्‍ट करते हैं। 

EUSO-SPB2 सीधे इन पार्टिकल्‍स का पता नहीं लगा सकता, लेकिन यह वातावरण में इनके संकेतों की तलाश कर सकता है क्योंकि न्यूट्रिनो और कॉस्मिक किरणें जमीन पर और वायुमंडल में अणुओं से टकराती हैं। इन पार्टिकल्‍स की खोज के लिए पहले भी कोशिशें हुई हैं। हालांकि उन कोशिशों में ज्‍यादातर बार जमीन से वातावरण को ऑब्‍जर्व किया गया है। इस बार वायुमंडल से नीचे की ओर ऑब्‍जर्वेशन किया जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की भौतिकविज्ञानी रेबेका डाइजिंग ने कहा कि हम जितना अधिक वातावरण देख सकें, उतना बेहतर होगा, क्योंकि अल्ट्रा-हाई-एनर्जी कॉस्मिक किरणें बेहद दुर्लभ हैं। पृथ्‍वी के एक स्‍क्‍वॉयर किलोमीटर एरिया में ये पार्टिकल 100 साल में सिर्फ एक बार टकराते हैं। 

हाई टेक बैलून में फ‍िट होकर उड़ान भरने वाली इस ऑब्‍जर्वेट्री को अगले साल तक लॉन्‍च किया जा सकता है। फ‍िलहाल दुनियाभर के देशों में इसके इंस्‍ट्रूमेंट को तैयार किया जा रहा है। 
 

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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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