2023 में प्राकृतिक आपदा की घटनाएं और उनसे होने वाले नुकसान, दोनों में ही बढ़ोत्तरी देखी गई। क्लाइमेट चेंज का असर इस साल पहले के सालों के मुकाबले ज्यादा तीव्र साबित हुआ। चाहे वो तुर्की-सीरिया का भूकंप हो, या साउथ अफ्रीका की बाढ़, या हो अल्जीरिया में जंगलों की आग। प्रकृति का क्रोध अब साफ नजर आने लगा है। इसलिए भूकंप, बाढ़, वबंडर जैसी आपदाएं मुंह उठाए खड़ी रहती हैं। इससे दुनियाभर में बड़े पैमाने पर तबाही दर्ज की जा रही है।
इसी दिशा में वैज्ञानिक जेम्स हेंसन ने
क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए मनुष्य की क्षमता के बारे में एक बड़ी बात कही है। साइंटिस्ट का मानना है कि इस साल को एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद किया जाएगा जब हमारी असफलताएं दुखद रूप से सामने आ गई हैं।
The Guardian को बताते हुए उन्होंने कहा, "जब हमारे बच्चे, और उनके बच्चे हमारे द्वारा पैदा किए गए क्लाइमेट चेंज का इतिहास देखेंगे तो उनको पता चलेगा कि इस साल, और अगले साल कैसे दुनियाभर में सरकारें क्लाइमेट चेंज से डील करने में विफल रहीं। ग्लोबल वार्मिंग को रोकना तो दूर, इसे और ज्यादा हवा मिल रही है।"
साइंटिस्ट ने कहा कि 2023 की जुलाई 1 लाख 20 हजार सालों में सबसे ज्यादा गर्म रही है। और अब दुनिया क्लाइमेट चेंज की अगली स्टेज की ओर बढ़ रही है, जो एक नई चुनौती को जन्म देगा। हेंसन न्यूयॉर्क में कॉलम्बिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट में क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम के डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि अब केवल उम्मीद ये बची है कि बागडोर नई पीढी़ के हाथों में सौंपी जाए। हो सकता है कि युवा पीढ़ी अपने भविष्य की बागडोर बेहतर तरीके से संभाल सके।
रिपोर्ट के अनुसार, अन्य एक्सपर्ट्स ने भी यह बात मानी है कि वैज्ञानिक लगातार चेतावनी देते जा रहे हैं, लेकिन सरकारों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। ग्लोबल वार्मिंग आज के समय में दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है जिससे प्राकृतिक आपदाओं ने विकाराल रूप लेना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक लगातार ऐसे तरीके खोज रहे हैं जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोका जा सके और क्लाइमेट चेंज को कंट्रोल किया जा सके। जुलाई 2023 में ही आई एक
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन अपने चरम पर है। वार्षिक रूप से 54 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है जिससे धरती की सतह का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट कहती है कि मानव ने अपनी गतिविधियों के कारण सन् 1800 से लेकर अब तक धरती का तापमान 1.14 डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है। यह 0.2 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है।