चीन की मोबाइल कंपनी Vivo का इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के साथ कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो गया है। इसकी जगह अब देश के कारोबारी दिग्गजों में से एक टाटा ग्रुप इस वर्ष से IPL का टाइटल स्पॉन्सर होगा। IPL की गवर्निंग काउंसिल की मंगलवार को हुई मीटिंग में यह फैसला किया गया। हालांकि, इस डील की वैल्यू के बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है।
IPL के चेयरमैन बृजेश पटेल ने टाटा ग्रुप के नया टाइटल स्पॉन्सर बनने की
पुष्टि की है।
टाटा ग्रुप के प्रवक्ता ने इस डील के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी। Vivo की 2018-2022 तक के लिए 2,200 करोड़ रुपये की टाइटल स्पॉन्सरशिप डील थी। हालांकि, गलवान घाटी में भारतीय और चीन की सेना के बीच टकराव के बाद हुए विवाद के कारण
Vivo ने IPL से एक वर्ष का ब्रेक लिया था और उसकी जगह Dream11 इस टूर्नामेंट की टाइटल स्पॉन्सर बनी थी। पिछले वर्ष Vivo ने टाइटल स्पॉन्सर के तौर पर वापसी की थी। ऐसी अटकल थी कि कंपनी इन राइट्स को किसी उपयुक्त बिडर को ट्रांसफर करना चाहती है और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इसके लिए अनुमति दी थी।
BCCI के एक सूत्र ने कहा, "यह होना तय था क्योंकि Vivo की मौजूदगी से टूर्नामेंट के साथ ही कंपनी का भी खराब प्रचार हो रहा था। चाइनीज प्रोडक्ट्स को लेकर नेगेटिव सेंटीमेंट्स होने के कारण कंपनी को डील के पूरा होने में एक सीजन बचा होने के बावजूद स्पॉन्सरशिप से हटना पड़ा है।" BCCI को इससे नुकसान नहीं होगा क्यंकि उसे 440 करोड़ रुपये की सालाना स्पॉन्सरशिप की रकम नए स्पॉन्सर की ओर से दी जाएगी।
स्पॉन्सरशिप की रकम में से आधी BCCI अपने पास रखता है और बाकी को
IPL की फ्रेंचाइजी के बीच बांटा जाता है। इस वर्ष दो नई टीमों के जुड़ने के साथ इन फ्रेंचाइजी की संख्या 10 हो गई है। ऐसा समझा जा रहा है कि यह डील केवल इस वर्ष के लिए है और अगले वर्ष टूर्नामेंट की टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए नए टेंडर मंगाए जाएंगे। गलवान में टकराव के बाद चीन की कंपनियों को लेकर हुए भारी विरोध के कारण केंद्र सरकार ने कुछ चाइनीज ऐप्स पर भी रोक लगाई थी। इनमें टिकटॉक भी शामिल था। हालांकि, देश के स्मार्टफोन मार्केट में शाओमी और Vivo जैसी चाइनीज कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी है।