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सेमीकंडक्टर के लिए एशिया पर निर्भरता घटाएगा EU, 48 अरब डॉलर का होगा इनवेस्टमेंट

इस योजना को अभी EU पार्लियामेंट और सदस्य देशों से स्वीकृति नहीं मिली है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden ने अमेरिका में सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए 52 अरब डॉलर (लगभग 3,88,398 करोड़ रुपये) का इनवेस्टमेंट करने की घोषणा की थी

सेमीकंडक्टर के लिए एशिया पर निर्भरता घटाएगा EU, 48 अरब डॉलर का होगा इनवेस्टमेंट

यूरोप सेमीकंडक्टर सेगमेंट में आत्मनिर्भर बनने के लिए चिप्स एक्ट लाया है

ख़ास बातें
  • इस योजना को अभी EU पार्लियामेंट और सदस्य देशों से स्वीकृति नहीं मिली है
  • सेमीकंडक्टर्स की ग्लोबल मार्केट में यूरोप की हिस्सेदारी नौ प्रतिशत की है
  • इसे 2030 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की योजना है
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यूरोपियन यूनियन ( EU) ने सेमीकंडक्टर का बड़ा मैन्युफैक्चरर बनने के लिए 48 अरब डॉलर (लगभग 3,58,520 करोड़ रुपये) की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य कारों से लेकर स्मार्टफोन तक में इस्तेमाल होने वाले इस कंपोनेंट की सप्लाई के लिए एशियन मार्केट्स पर निर्भरता को घटाना है। यूरोप के 27 देशों का यह संगठन सेमीकंडक्टर सेगमेंट में आत्मनिर्भर बनने के लिए चिप्स एक्ट लाया है।

इस बारे में यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट, Ursula Von der Leyen ने कहा, "टेक्नोलॉजिकल रेस में चिप्स काफी महत्वपूर्ण हैं। यह हमारी इकोनॉमीज का आधार हैं।" इस योजना को अभी EU पार्लियामेंट और सदस्य देशों से स्वीकृति नहीं मिली है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden ने अमेरिका में सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए 52 अरब डॉलर (लगभग 3,88,398 करोड़ रुपये) का इनवेस्टमेंट करने की घोषणा की थी। 

पिछले वर्ष कोरोना के कारण हुई तबाही के बाद इकोनॉमी में रिकवरी के साथ सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण मुश्किल हो रही है। यूरोप में कुछ कस्टमर्स को इस वजह से अपनी नई कार के लिए लगभग एक वर्ष तक इंतजार करना पड़ा है। von der Leyen ने कहा, "महामारी से सप्लाई चेन में कमजोरियों का भी पता चला है। हमने पूरी प्रोडक्शन लाइन को इस वजह से रुकते देखा है। डिमांड बढ़ रही है लेकिन चिप्स की कमी के कारण इसे पूरा करने में मुश्किल हो रही है। इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की कमी के कारण कुछ फैक्टरियों को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा है और वर्कर्स बेरोजगार हो गए हैं।"

सेमीकंडक्टर्स बहुत छोटे माइक्रोचिप्स होते हैं जिनका इस्तेमाल कारों से लेकर स्मार्टफोन तक में होता है। सेमीकंडक्टर्स बनाने वाली अधिकतर कंपनियां एशिया में हैं। Von der Leyen ने कहा कि यूरोप के चिप्स एक्ट में रिसर्च, डिजाइन, टेस्टिंग इनवेस्टमेंट को जोड़ने के साथ ही इनवेस्टमेंट को कोऑर्डिनेट किया जाएगा। EU कमीशन ने वादा किया है कि चिप्स एक्ट के प्रत्येक प्रोजेक्ट की एंटी कॉम्पिटिटिव आधार पर सतर्कता से जांच की जाएगी।  Von der Leyen ने कहा, "यूरोप को मॉडर्न प्रोडक्शन प्लांट्स की जरूरत है, जिनके लिए बड़ी कॉस्ट आएगी।" सेमीकंडक्टर्स की ग्लोबल मार्केट में यूरोप की हिस्सेदारी केवल नौ प्रतिशत की है। इसे बढ़ाकर 2030 तक 20 प्रतिशत करने की योजना है। सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण कुछ ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपने प्रोडक्शन में कमी करनी पड़ी है। इससे इन कंपनियों के प्रॉफिट पर भी असर पड़ने की आशंका है।

 
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