ड्रोन का इस्तेमाल करके कीटनाशकों के छिड़काव के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए ‘ड्रोन यात्रा' की शुरुआत की गई है। जानी-मानी स्विस एग्रोकेमिकल सिनजेंटा (Syngenta) ने शुक्रवार को यह ‘यात्रा' शुरू की। इसके तहत 13 राज्यों में 10 हजार किलोमीटर की 'ड्रोन यात्रा' की जाएगी। कंपनी ने दुनिया की पहली बायोडायवर्सिटी सेंसर तकनीक की भी घोषणा की है। इस तकनीक को IIT रोपड़, पंजाब और जर्मनी के फ्रौनहोफर इंस्टिट्यूट के साथ साझेदारी में डेवलप किया गया है। इसका मकसद किसानों को उपयुक्त फसलों की खेती करने का सुझाव देना है।
इस सेंसर को इस साल यूरोप और भारत में किसानों के खेतों में टेस्ट किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि वह इस महीने के अंत तक भारत में ग्रोअर (Grower) ऐप लॉन्च करने की भी योजना बना रही है ताकि छोटे किसानों को कपास, गेहूं, चावल और मक्का समेत 9 फसलों पर विभिन्न भाषाओं में डिजिटल एग्रोनॉमी की सलाह देकर सशक्त बनाया जा सके।
सिनजेंटा इंडिया के कंट्री हेड और मैनेजिंग डायरेक्टर सुशील कुमार और सिंजेंटा ग्रुप के चीफ इन्फॉर्मेशन एंड डिजिटल ऑफिसर फिरोज शेख ने इस नई पहल की घोषणा की।
सुशील कुमार ने कहा कि ड्रोन यात्रा का मकसद कृषि में ड्रोन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यात्रा के तहत एक वैन 10,000 किलोमीटर की दूरी तय करके 10 हजार किसानों तक पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि वैन महाराष्ट्र से शुरू होगी और मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की यात्रा करेगी। उन्होंने कहा कि कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन का कमर्शल लॉन्च इस महीने के आखिर में चावल, कपास और सोयाबीन की फसलों में किया जाएगा।
सिंजेंटा पहली प्राइवेट फर्म है जिसे केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (CIB) से धान पर 'अमिस्टर' का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की मंजूरी मिली है, ताकि फसल को फंगल संक्रमण से बचाया जा सके। कंपनी का कहना है कि उसने पहले ही ड्रोन की एफिशिएंसी को टेस्ट कर लिया है। ड्रोन यात्रा के जरिए जागरूकता अभियान न केवल किसानों को नई तकनीक के बारे में शिक्षित करेगा, बल्कि कंपनी को किसानों से फीडबैक और इनपुट लेने में भी मदद करेगा।