कर्नाटक हाई कोर्ट ने चाइनीज स्मार्टफोन मेकर Xiaomi के 67 करोड़ डॉलर से अधिक के एसेट्स पर एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की रोक को बरकरार रखा है। कंपनी ने एसेट्स पर रोक लगाने को कोर्ट में चुनौती दी थी। ED ने पिछले वर्ष कंपनी के एसेट्स पर रोक लगाई थी। ED का आरोप था कि शाओमी ने विदेशी फर्मों को रॉयल्टी के भुगतान की मद में गैर कानूनी तरीके से रकम भेजी थी।
हालांकि, शाओमी ने किसी गड़बड़ी से इनकार किया था। Live Law की रिपोर्ट के अनुसार,
शाओमी ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके एसेट्स पर रोक लगाना अनुचित है और इससे देश में कंपनी के कामकाज में रुकावट आई है। पिछले वर्ष शाओमी के वकील ने कोर्ट से इन रोक को समाप्त करने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने कहा था कि कंपनी को पहले रोक वाले एसेट्स के समान बैंक गारंटी उपलब्ध करानी चाहिए। इस पर कंपनी के वकील ने कोर्ट को बताया था कि ऐसी बैंक गारंटी का मतलब पूरी रकम को जमा कराना होगा। इससे कंपनी के लिए कामकाज करना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, इसे लेकर कोर्ट ने कोई राहत देने से मना कर दिया था।
कंपनी की देश में यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा था। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था।
कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया था कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को 'गैर कानूनी' तरीके से रकम भेजी थी।
पिछले वर्ष भारत में स्मार्ट TV के मार्केट में 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ शाओमी ने अपना पहला स्थान बरकरार रखा था। पिछले वर्ष देश में स्मार्ट TV की शिपमेंट्स में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे तीसरी तिमाही में फेस्टिव सीजन के दौरान नए लॉन्च, डिस्काउंट और प्रमोशंस प्रमुख कारण रहे। मार्केट रिसर्च फर्म Counterpoint की रिपोर्ट के अनुसार, कम प्राइस वाले सेगमेंट में बड़ी स्क्रीन वाले TV की डिमांड से भी बिक्री बढ़ी है। दिसंबर तिमाही में फेस्टिव सीजन के बाद स्मार्ट TV की शिपमेंट्स डिमांड में कमी से वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग दो प्रतिशत बढ़ी हैं। इस मार्केट में शाओमी के बाद Samsung, LG, OnePlus और TCL थी।