Nokia 1 सबसे सस्ता
नोकिया एंड्रॉयड स्मार्टफोन तो है ही, साथ में एंड्रॉयड ओरियो गो एडिशन पर चलने वाला यह एचएमडी ग्लोबल का पहला हैंडसेट भी है। बता दें कि यह एंड्रॉयड का ही एक अवतार है जिसे बजट स्मार्टफोन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। खासकर उन यूज़र के लिए जो फीचर फोन से स्मार्टफोन में अपग्रेड करना चाहते हैं।
5,499 रुपये वाला
Nokia 1 सीधे तौर पर
Xiaomi Redmi 5A और 10.or D को चुनौती देता है। ये दोनों हैंडसेट एंड्रॉयड के आम वर्ज़न के साथ आते हैं। क्या एंड्रॉयड गो के दम पर नोकिया 1 इन हैंडसेट को मजबूती चुनौती देता है? आइए रिव्यू के ज़रिए जानते हैं...
Nokia 1 डिज़ाइन
नोकिया 1 का कॉम्पैक्ट और निफ्टी डिज़ाइन इसे अलग पहचान देने का का काम करता है। खासकर तब जब मार्केट में बड़ी स्क्रीन वाले हैंडसेट का बोलबाला है। डिस्प्ले के ऊपर और नीचे चौड़े बॉर्डर हैं। वहीं, फ्रंट पैनल के किनारे पर सफेद रंग का रिम इसे कूल लुक देने का काम करता है। Nokia 1 के डिजाइन में आपको पुराने लूमिया स्मार्टफोन की झलक नज़र आएगी।
पावर और वॉल्यूम बटन दायीं तरफ हैं और इनकी पोज़ीशन सहूलियत वाली है। बटन का रिस्पॉन्स भी बढ़िया है। टॉप पर हेडफोन सॉकेट है और निचले हिस्से पर माइक्रो-यूएसबी पोर्ट। रियर कैमरा और सिंगल एलईडी फ्लैश पिछले हिस्से पर एक कैपसूल जैसी बनावट के अंदर हैं। इसका सफेद रंग वाला बॉर्डर डिजाइन को और बेहतर बनाने का काम करता है।
सिंपल और कलरफुल डिज़ाइन, एक्सप्रेस-ऑन रियर शेल के कारण नोकिया 1 कुछ अनोखा होने का एहसास देता है। ये भी बता दें कि रिव्यू के दौरान एहतियात बरतने के बावजूद रीमूवेबल शेल पर आसानी से खरोंच के निशान पड़ गए।
उम्मीद के मुताबिक, Nokia 1 को प्लास्टिक से बनाया गया है और यह प्रीमियम होने का एहसास नहीं देता। 9.5 मिलीमीटर की मोटाई वाले इस फोन को स्लिम तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह हाथों में आसानी से फिट हो जाता है। बैक कवर के नीचे बैटरी है जिसे बाहर निकाला जा सकता है। दो सिम कार्ड और माइक्रोएसडी कार्ड के अलग-अलग स्लॉट भी दिए गए हैं।
Nokia 6,
Nokia 8 और
Nokia 3 जैसे हैंडसेट के साथ एचएमडी ग्लोबल ने मजबूत व टिकाऊ हैंडसेट पेश करने की छवि बनाई है। Nokia 1 भी कंपनी की इस रणनीति को आगे बढ़ाता है। रिव्यू के दौरान फोन हमारे हाथों से एक-दो बार गिरा भी, लेकिन इसे कुछ नहीं हुआ।
Nokia 1 स्पेसिफिकेशन, परफॉर्मेंस और सॉफ्टवेयर
Nokia 1 एक ऐसा स्मार्टफोन है जिसे खासकर एंड्रॉयड ओरियो गो प्लेटफॉर्म के लिए बनाया गया है। एंड्रॉयड गो, गूगल के लोकप्रिय एंड्रॉयड ओएस का कम फीचर वाला अवतार है। यह उन बजट स्मार्टफोन के लिए है, जो कमज़ोर प्रोसेसर और 1 जीबी या उससे कम रैम के साथ आते हैं।
Nokia 1 ज़ाहिर तौर पर पावरहाउस नहीं है। यह क्वाड कोर मीडियाटेक एमटी6737 प्रोसेसर से लैस है और सर्वाधिक क्लॉक स्पीड 1.1 गीगाहर्ट्ज़ है। फोन में 1 जीबी रैम है। बैटरी 2150 एमएएच की है। 4.5 इंच की आईपीएस स्क्रीन 480x854 पिक्सल रिजॉल्यूशन वाली है।
Nokia 1 का सिर्फ एक वेरिएंट है जो 8 जीबी इनबिल्ट स्टोरेज वाला है। ज़रूरत पड़ने पर 128 जीबी तक का माइक्रोएसडी कार्ड इस्तेमाल करना संभव है। कैमरे की बात करें तो आपको 5 मेगापिक्सल का फिक्स्ड फोकस रियर कैमरा मिलेगा और साथ में एलईडी फ्लैश भी। इसमें 2 मेगापिक्सल का फिक्स्ड फोकस फ्रंट कैमरा है। कनेक्टिविटी फीचर में 4जी वीओएलटीई, वाई-फाई 802.11 बी/जी/एन, ब्लूटूथ 4.2, जीपीएस/ ए-जीपीएस, एफएम रेडियो, माइक्रो-यूएसबी और 3.5 एमएम ऑडियो जैक शामिल हैं।
बेसिक यूज़र इंटरफेस बेहद ही स्मूथ है। लेकिन बैकग्राउंड में 5-6 ऐप खुले होने पर ही फोन स्लो हो जाता है। हमने पाया कि ट्विटर फीड स्क्रॉल करने, मोबाइल ऑप्टिमाइज़्ड वेबसाइट देखने और व्हाट्सऐप पर चैट करने जैसे साधारण टास्क में फोन धीमा पड़ने लगा।
मैसेजिंग ऐप जैसे फर्स्ट पार्टी ऐप को भी खुलने में उम्मीद से ज़्यादा वक्त लगा। डिफॉल्ट मैप्स गो ऐप तो कई बार हमारी लोकेशन नहीं खोज सका। बैकग्राउंड में कुछ ऐप खुले हों, और आप गेम भी खेल रहे हैं, तो फोन ज़्यादा गर्म हो जाता है। साफ-साफ कहें तो यूज़र एक्सपीरियंस ने हमें उन दिनों के बजट स्मार्टफोन की याद दिला दी, जब सबकुछ धीमा और उबाऊ था। आज की तारीख में इस प्राइस रेंज में भी ऐसी शिकायतें नहीं मिलतीं।
Nokia 1 पर गेम खेलने का अनुभव बेहद ही खराब रहा। सबवे सर्फर गेम, जो आमतौर पर हर स्मार्टफोन में आसानी से चलता है, इस हैंडसेट में अटक रहा था।
एंड्रॉयड गो में गूगल ने सभी डिफॉल्ट एंड्रॉयड ऐप को ऐसे तैयार किया है कि वो कम डेटा की खपत करें। इसके अलावा सिस्टम यूआई और केरनल में भी बदलाव किया गया, ताकि 512 एमबी रैम से भी काम चल जाए।
कागज़ी तौर पर चीजें बहुत लुभावनी लगती हैं। लेकिन एंड्रॉयड गो के साथ हमारा पहला अनुभव बहुत शानदार नहीं रहा। डिफॉल्ट एप्लिकेशन भी कभी काम करते हैं, तो कभी नहीं। यूट्यूब गो से सब्सक्रिप्शन और पर्सनल रिकमेंडेशन फीचर गायब हैं। टेस्टिंग के दौरान यह ऐप कई बार क्रेश हो गया। अच्छी बात यह है कि आप यह तय कर सकते हैं कि वीडियो को किस रिजॉल्यूशन में डाउनलोड किया जाए। इस तरह से डेटा और स्टोरेज पर नियंत्रण रखना आसान हो जाता है।
गूगल गो एप्लिकेशन आकर्षक है। आपको ट्रांसलेशन, जिफ सर्च और वॉयस सर्च जैसे फीचर के लिए शॉर्टकट मिलते हैं। फाइल्स गो ऐप की मदद से यूज़र स्टोरेज मैनेज कर पाएंगे।
इसमें नोकिया का ग्लांस स्क्रीन फीचर भी है। आपको लॉक स्क्रीन में मिस्ड कॉल, अलार्म, मेल, मैसेज आदि के नोटिफिकेशन दिखेंगे।
कुल मिलाकर हमारा अनुभव संतोषजनक भी नहीं था। इसकी वजह क्या है? यह तय कर पाना मुश्किल है। अगर नोकिया 1 आम एंड्रॉयड वर्ज़न पर होता तो फोन के कमज़ोर स्पेसिफिकेशन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता था। हालांकि, एंड्रॉयड गो प्लेटफॉर्म को इस किस्म के हार्डवेयर के लिए ही बनाया गया है। कारण जो भी हो, लेकिन परफॉर्मेंस के कारण इस प्लेटफॉर्म की छवि को बट्टा लगा है।
हम 4.5 इंच के एफडब्ल्यूवीजीए आईपीएस डिस्प्ले से बहुत ज़्यादा उम्मीदें नहीं कर रहे थे। यह बेहद ही डल और वाश्ड आउट है। सूरज की रोशनी में इस पर कुछ भी पढ़ पाना आसान नहीं है। टच रिस्पॉन्स संतोषजनक है और व्यूइंग एंगल काफी अच्छे हैं।
हमारे अनुभव में कॉल की क्वालिटी अच्छी थी। हालांकि, अच्छे सिग्नल वाले इलाकों में भी कॉल ड्रॉप की कुछ शिकायतें मिलीं। फोन में दिए गए एक मात्र स्पीकर से ऊंची आवाज़ आती है, जिसने हमारा ध्यान खींचा। मैक्सिमम वॉल्यूम में भी आवाज़ फटती नहीं है। फोन के साथ आने वाले ईयरफोन की क्वालिटी बेहद ही औसत है। कीमत को देखते हुए इसमें कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है।
Nokia 1 कैमरे और बैटरी लाइफ
कम कीमत वाले अन्य फोन की तरह Nokia 1 के कैमरे निराश करते हैं। कम रोशनी में रियर कैमरे से ली गई तस्वीरों में नॉयज़ बहुत ज़्यादा रहती हैं, और कलर्स वाश्ड आउट लगते हैं। बेहतर रोशनी में तस्वीरें अच्छी आती हैं। हालांकि, शॉट में डिटेल की कमी रहती है। मैक्रोज़ और क्लोज़-अप शॉट लेते वक्त फिक्स्ड फोकस संघर्ष करता नज़र आता है। आप सर्वाधिक 720 पिक्सल के वीडियो रिकॉर्ड कर पाएंगे। हमने पाया कि रिकॉर्ड किए गए क्लिप नॉयज के साथ आए।
फ्रंट कैमरा भी औसत है। यह कम रोशनी में खराब परिणाम देता है। दिन के वक्त ली गई सेल्फी थोड़ी बेहतर रहती हैं, इन्हें सोशल मीडिया पर इस्तेमाल किया जा सकता है। कैमरा ऐप को इस्तेमाल करना आसान है। इसमें एक मैनुअल मोड भी है। आप व्हाइट बैलेंस और एक्सपोज़र को नियंत्रित कर पाएंगे।
हमारे एचडी वीडियो लूप बैटरी टेस्ट में नोकिया 1 ने 8 घंटे 45 मिनट में दम तोड़ दिया जो निराश करने वाला है। आम इस्तेमाल में बैटरी मुश्किल से पूरे दिन चल पाती है। हमने पाया कि हर दिन शाम 7-8 बजे तक फोन को चार्ज करना जरूरी हो जाता था। फुल चार्ज होने में भी इसे 2 घंटे लगते हैं, जो कि निराश करने वाली बात है।
हमारा फैसलाNokia 1 से जो सबसे बड़ी शिकायत है, वह है 5,499 रुपये की कीमत। अगर Nokia 1 की कीमत को और कम रखा जाता तो यह उन यूज़र के लिए बेहतरीन विकल्प होता जो फीचर फोन से स्मार्टफोन में अपग्रेड करने की सोच रहे हैं। जियो यूज़र अगर कैशबैक ऑफर को ध्यान में रखें तो इसकी प्रभावी कीमत 3,299 रुपये हो जाती है। लेकिन अन्य यूज़र को इस फोन को खरीदने से पहले कुछ और विकल्पों के बारे में जांच-पड़ताल करनी चाहिए। क्योंकि आज की तारीख में 10,000 रुपये से कम में कई बेहतरीन ऑप्शन हैं।
Redmi 5A और 10.0r D का दाम नोकिया 1 के आस-पास रखा गया है, जिनका यूज़र एक्सपीरियंस काफी बेहतर है। एंड्रॉयड गो अभी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन मौज़ूदा कमियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।