बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शामिल Microsoft का मार्केट कैपिटलाइजेशन दो वर्षों में पहली बार iPhone बनाने वाली Apple से अधिक हो गया है। इससे यह दुनिया की सबसे अधिक वैल्यू वाली कंपनी बन गई है। एपल के शेयर प्राइस पर आईफोन की डिमांड घटने की आशंका का असर पड़ा है।
एपल के शेयर में शुक्रवार को 0.2 प्रतिशत की तेजी थी, जबकि
माइक्रोसॉफ्ट के शेयर का प्राइस लगभग एक प्रतिशत बढ़ा था। माइक्रोसॉफ्ट की मार्केट वैल्यू लगभग 2.88 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गई। एपल का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 2.87 लाख करोड़ डॉलर का था। स्मार्टफोन की डिमांड को लेकर आशंका से एपल के शेयर में पिछले कुछ दिनों में 3 प्रतिशत की गिरावट हुई है। पिछले वर्ष कंपनी का शेयर लगभग 48 प्रतिशत बढ़ा था। पिछले कुछ दिनों में माइक्रोसॉफ्ट का शेयर लगभग तीन प्रतिशत बढ़ा है। पिछले वर्ष जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में ChatGPT मेकर OpenAI में इनवेस्टमेंट के जरिए बड़ा कदम उठाने से माइक्रोसॉफ्ट के शेयर में लगभग 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
LSEG के डेटा के अनुसार, पिछले वर्ष 14 दिसंबर को
एपल का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 3.08 लाख करोड़ डॉलर के साथ पीक पर रहा था। कंपनी का मिक्स्ड रिएलिटी हेडसेट, Vision Pro 2 फरवरी को अमेरिका में लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए प्री-ऑर्डर 19 जनवरी को शुरू होंगे। पिछले वर्ष जून में वर्ल्डवाइड डिवेलपर्स कॉन्फ्रेंस (WWDC) में कंपनी ने इसे पेश किया था। अमेरिका में एपल के स्टोर्स और कंपनी के वेब स्टोर से जरिए यह हेडसेट उपलब्ध होगा। यह ऑग्मेंटेड रिएलिटी (AR) और वर्चुअल रिएलिटी (VR) दोनों टेक्नोलॉजीज को सपोर्ट करता है। इसके लिए प्री-ऑर्डर 19 जनवरी को शुरू होंगे।
हाल ही में बारक्लेज ने एपल के शेयर को 'न्यूट्रल' से 'अंडरवेट' कर दिया था। इसके बाद कंपनी के शेयर प्राइस में बड़ी गिरावट हुई थी। बारक्लेज के एनालिस्ट Tim Long ने कहा था कि कंपनी के नए आईफोन्स की डिमांड कमजोर रह सकती है। इसके अलावा इसे चीन जैसे मार्केट्स में चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। चीन में सरकार की अमेरिकी कंपनियों पर सख्ती बढ़ रही है। एपल के लिए चीन एक बड़ा मार्केट है और आईफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग का हब भी है। चीन के Huawei जैसे ब्रांड्स से एपल को कड़ा मुकाबला मिल रहा है।