स्मार्टफोन खोने या चोरी होने के ज्यादातर मामलों में पीडि़तों को उनका फोन वापस नहीं मिलता। अक्सर लोगों की यह शिकायत होती है कि पुलिस ने उनका फोन ढूंढने के लिए जरा भी कोशिश नहीं की। लोग भी कंप्लेंट दर्ज करा कर भूल जाते हैं और ज्यादातर लोग नया फोन खरीद लेते हैं। लेकिन तमिलनाडु के मदुरै से आई यह खबर एकदम अलग है। मदुरै पुलिस ने चोरी हुए, गायब हुए और लूट लिए गए कुल 111 मोबाइल रिकवर करके उन्हें उनके मालिकों तक पहुंचा दिया। पुलिस सुपरिटेंडेंट (SP) वी. भास्करन ने डिस्ट्रिक्ट पुलिस ऑफिस में फोन के मालिकों को ₹15.80 लाख के मोबाइल सौंपे। भास्करन ने साइबर क्राइम पुलिस के प्रयासों की सराहना भी की, जिसे अडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस मणि और इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस एस. विसेलिन ने लीड किया।
साइबर क्राइम पुलिस कई हफ्तों और महीनों तक IMEI नंबर के जरिए खोए हुए मोबाइल फोन्स की निगरानी करती रही। पुलिस ने बताया कि जैसे ही खोए हुए मोबाइल फोन एक्टिव होते हैं, तो साइबर क्राइम पुलिस की टीम उसे इस्तेमाल कर रहे शख्स तक पहुंच जाती है। उन्हें बताया जाता है कि वो जो फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, वह चोरी, लूट या संभवत: खोया हुआ है और इसके बाद उस व्यक्ति से फोन ले लिया जाता है।
पुलिस ने बताया कि ज्यादातर मामलों में फोन इस्तेमाल कर रहे लोगों ने उसे सड़क पर गिरा हुआ पाया था। लोग इस बात से अनजान थे कि उन्होंने चोरी के फोन खरीदे थे। SP भास्करन ने चोरों और लुटेरों को चेतावनी दी है कि अगर वो लूटे गए या चोरी के फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो पुलिस कभी भी उन तक पहुंच सकती है।
भास्करन ने बताया कि इस साल अब तक ₹64.13 लाख रुपये कीमत के 511 मोबाइल फोन्स का पता लगाया जा चुका है और उन्हें उनके खरीदारों तक पहुंचा दिया गया है।
पुलिस का कहना है कि ऐसे लोगों को अपनी डिटेल नहीं देनी चाहिए, जो खुद को बैंक अधिकारी बताते हैं। ऐसी किसी भी धोखाधड़ी के मामले में लोग टोल-फ्री नंबर 155260 पर कॉल कर सकते हैं या https://www.cybercrime.gov.in के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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