Amazon और Flipkart के खिलाफ जांच का मामला कर्नाटक हाई कोर्ट को ट्रांसफर

CCI ने कहा था कि Samsung और Vivo और कुछ अन्य कंपनियों की ओर से दी गई जांच को चुनौतियों का टारगेट इस जांच को दबाना है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 6 जनवरी 2025 23:04 IST
ख़ास बातें
  • इन ई-कॉमर्स कंपनियों पर गलत कारोबारी तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप है
  • CCI की यह जांच कॉम्पिटिशन से जुड़े कानून के उल्लंघन को लेकर है
  • पिछले कुछ वर्षों में ई-कॉमर्स का मार्केट तेजी से बढ़ा है

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले की जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया है

ई-कॉमर्स कंपनियों Amazon और Flipkart के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की जांच को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट को ट्रांसफर किया है। इन याचिकाओं में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के कथित तौर पर कॉम्पिटिशन के खिलाफ कारोबारी तरीकों की CCI की ओर से जांच को चुनौती गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले की जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया है। इन ई-कॉमर्स कंपनियों और CCI ने इस मामले को सुनवाई के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट को ट्रांसफर करने पर सहमति दी थी। पिछले महीने CCI ने इन कंपनियों की जांच को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई करने का निवेदन किया था। CCI ने कहा था कि Samsung और Vivo और कुछ अन्य कंपनियों की ओर से दी गई जांच को चुनौतियों का टारगेट इस जांच को दबाना है। 

CCI की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक फाइलिंग में कहा गया था कि एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और इन ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स पर सैमसंग, Vivo और कुछ अन्य वेंडर्स की ओर से विभिन्न हाई कोर्ट्स में दायर की गई चुनौतियों पर सुनवाई की जाए, जिससे इस मामले में जल्द फैसला हो सके। 

देश में ई-कॉमर्स का मार्केट 2028 तक बढ़कर 160 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के लिए यह एक बड़ी रेगुलेटरी चुनौती है। विदेशी निवेश से जुड़े कानून के उल्लंघन की वजह से एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की जांच का दायरा भी बढ़ा है। इन कंपनियों का कहना है कि वे देश के कानूनों का पालन करती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से ED इन कंपनियों के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है। इन कंपनियों पर चुनिंदा सेलर्स के जरिए गुड्स की इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखने का आरोप है। देश के कानून के तहत, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट के जरिए बिक्री वाले प्रोडक्ट्स की इन्वेंटरी नहीं रख सकती और ये केवल सेलर्स के एक मार्केटप्लेस के तौर पर कार्य कर सकती हैं। हाल ही में ED ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के कुछ सेलर्स पर छापा मारा था। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक सरकारी सूत्र ने बताया था कि ED के छापों में जब्त किए गए दस्तावेजों से यह प्रमाण मिला है कि इन कंपनियों ने विदेशी निवेश से जुड़े कानून का उल्लंघन किया है। 
 

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