देश में बैट्रीज की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की 2.4 अरब डॉलर (लगभग 17,800 करोड़ रुपये) की योजना के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओला इलेक्ट्रिक और ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने बिड्स जमा की हैं। एनवायरमेंट फ्रेंडली ट्रांसपोर्टेशन और रिन्युएबल एनर्जी की स्टोरेज के लिए सरकार ने इंसेंटिव उपलब्ध कराने वाली इस योजना की पिछले वर्ष घोषणा की थी।
हेवी इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री ने बताया इस
योजना के तहत ह्युंडई ग्लोबल मोटर्स, लार्सन एंड टुब्रो और बैटरी बनाने वाली अमारा राजा और एक्साइड ने भी बिड्स दी हैं। इस योजना से बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट भी बढ़ने की संभावना है। सरकार का उद्देश्य पांच वर्षों में 50 गीगावॉट आवर्स (Gwh) की बैटरी स्टोरेज कैपेसिटी बनाना है। इसमें लगभग 6 अरब डॉलर (लगभग 44,610 करोड़ रुपये) का इनवेस्टमेंट होने की उम्मीद है। इंसेंटिव प्राप्त करने के लिए कंपनियों को न्यूनतम 5 Gwh की स्टोरेज कैपेसिटी बनाने के साथ ही लोकल कंपोनेंट की शर्तों को भी पूरा करना होगा।
मिनिस्ट्री ने बताया कि 10 कंपनियों ने लगभग 130 Gwh के लिए बिड्स दी हैं। केंद्र सरकार की ओर से
Tesla, सैमसंग,
LG Energy, Northvolt और
Panasonic जैसी कंपनियों को इनवेस्टमेंट के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बड़े शहरों में प्रदूषण कम करने और क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट घटाने के लिए क्लीन ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी सरकार की स्ट्रैटेजी का प्रमुख हिस्सा है। देश में ऑटोमोबाइल सेल्स में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की हिस्सेदारी काफी कम है और इसका बड़ा कारण इन व्हीकल्स में लगने वाली बैट्रीज का महंगा होना है। इन बैट्रीज का इम्पोर्ट किया जाता है।
सरकार ने 2030 तक प्राइवेट कारों की सेल्स में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर्स के लिए यह 40 प्रतिशत का है। इससे बैट्रीज की डिमांड में बढ़ोतरी होगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कॉस्ट में बैटरी का हिस्सा 35 से 40 प्रतिशत तक हो सकता है। कुछ ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि, इम्पोर्ट ड्यूटी अधिक होना इन कंपनियों के लिए एक बड़ी रुकावट है। टेस्ला ने केंद्र सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाने पर विचार करने का निवेदन किया है। इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करने का देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां विरोध कर रही हैं। इनका कहना है कि इससे लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ेगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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