Microsoft में होगी हजारों वर्कर्स की छंटनी, इंजीनियरिंग डिविजन में होगी बड़ी कटौती

कंपनी के पास पिछले वर्ष जून तिमाही के अंत में लगभग 2,21,000 वर्कर्स थे। इनमें से लगभग 1,22,000 अमेरिका और बाकी अन्य देशों में थे

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 18 जनवरी 2023 15:48 IST
ख़ास बातें
  • माइक्रोसॉफ्ट से लगभग 11,000 वर्कर्स बाहर हो सकते हैं
  • इसमें इंजीनियरिंग और ह्युमन रिसोर्सेज डिविजंस पर अधिक असर होगा
  • कंपनी पिछली तिमाही के रिजल्ट्स की 24 जनवरी को घोषणा करेगी

कंपनी पर अपनी क्लाउड यूनिट Azure के ग्रोथ रेट को बरकरार रखने का प्रेशर है

ग्लोबल सॉफ्टवेयर कंपनी Microsoft ने हजारों वर्कर्स की छंटनी करने की तैयारी की है। कंपनी की योजना अपनी वर्कफोर्स को लगभग 5 प्रतिशत कम करने की है। माइक्रोसॉफ्ट से लगभग 11,000 वर्कर्स को बाहर किया जा सकता है। इसमें इंजीनियरिंग और ह्युमन रिसोर्सेज डिविजंस पर अधिक असर होगा। 

Reuters की रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी पर अपनी क्लाउड यूनिट Azure के ग्रोथ रेट को बरकरार रखने का प्रेशर है। पिछली कुछ तिमाहियों से मंदी के कारण पर्सनल कंप्यूटर्स के मार्केट को नुकसान हुआ है और इससे माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज और डिवाइसेज की बिक्री पर असर पड़ा है। माइक्रोसॉफ्ट पिछली तिमाही के रिजल्ट्स की 24 जनवरी को घोषणा करेगी। कंपनी के पास पिछले वर्ष जून तिमाही के अंत में लगभग 2,21,000 वर्कर्स थे। इनमें से लगभग 1,22,000 अमेरिका और बाकी अन्य देशों में थे। कंपनी के छंटनी के फैसले से यह संकेत मिल रहा है कि टेक सेक्टर में वर्कफोर्स में कटौती जारी रह सकती है। 

हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर Satya Nadella ने टेक सेक्टर के लिए दो वर्ष तक चुनौतियां रहने की चेतावनी दी थी। उनका कहना था कि माइक्रोसॉफ्ट को भी इन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और टेक कंपनियों को एफिशिएंट बनने की जरूरत है। इससे पहले Amazon और सोशल मीडिया साइट फेसबुक को चलाने वाली Meta ने भी बड़ी संख्या में वर्कर्स की छंटनी की थी। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर का कंट्रोल हासिल करने के बाद बिलिनेयर एलन मस्क ने कंपनी के आधे स्टाफ को बाहर कर दिया था। 

मेटा से 11,000 से अधिक एंप्लॉयीज की छंटनी की गई है। यह कंपनी की कुल वर्कफोर्स का लगभग 13 प्रतिशत है। पिछले वर्ष टेक कंपनियों में बड़ी छंटनियों में से यह एक थी। मेटा को कॉस्ट बढ़ने और विज्ञापनों में कमजोरी जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था और इसका असर उनके वैल्यूएशंस पर भी दिखा था। पिछले वर्ष इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी से इन कंपनियों के वैल्यूएशंस में काफी गिरावट आई है। मेटा के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Mark Zuckerberg ने एंप्लॉयीज को मैसेज में बताया था, "मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों के कमजोर होने, कॉम्पिटिशन बढ़ने और विज्ञापनों में कमी से हमारा रेवेन्यू अनुमान से बहुत कम रहा है। मुझसे गलती हुई है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।" 
 
 

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