देश की सबसे बड़ी कार मेकर Maruti Suzuki का दिसंबर में प्रोडक्शन 17.96 प्रतिशत घटकर 1,24,722 यूनिट्स का रहा। इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में यह 1,52,029 यूनिट्स का था। कंपनी ने बताया है कि इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की शॉर्टेज का पिछले महीने व्हीकल्स के प्रोडक्शन पर कुछ असर पड़ा है। कंपनी ने इस असर को कम करने के लिए उपाय किए हैं।
मारुति का मिनी कार और कॉम्पैक्ट कार सेगमेंट में प्रोडक्शन 21 प्रतिशत गिरकर 83,753 यूनिट्स का रहा। इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में यह 1,06,090 यूनिट्स का था। इस सेगमेंट में Alto, S-Presso, Baleno, Celerio, Dzire, Ignis, Swift और WagonR जैसी कारें शामिल हैं। लाइट कमर्शियल व्हीकल Super Carry का प्रोडक्शन पिछले महीने 587 यूनिट्स का था। यह इससे पिछले वर्ष के समान महीने में 3,262 यूनिट्स था। कंपनी की दिसंबर में होलसेल सेल्स लगभग नौ प्रतिशत घटकर 1,39,347 यूनिट्स की रही।
कंपनी ने इस महीने से इनवेंटरी का लेवल कम रखने की योजना बनाई है।
मारुति का मानना है कि देश में व्हीकल्स पर लगने वाले अधिक टैक्स के कारण ये अधिकतर लोगों की पहुंच से ये बाहर हो जाते हैं। इससे पहले अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla और Toyota Motor भी देश में व्हीकल्स पर टैक्स को कम करने की जरूरत बता चुके हैं।
पिछले महीने कंपनी के चेयरमैन R C Bhargava ने कहा था कि सरकार की नीतियां इस तरह की हैं जिससे कारों को लग्जरी प्रोडक्ट माना जाता है जिन पर भारी टैक्स लगता है। उनका कहना था कि इससे कारें बनाने वाली कंपनियों की ग्रोथ पिछले 12 वर्षों में 12 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत रह गई है। इसका बड़ा कारण सरकार की खराब नीतियां हैं। अधिकतर नई कारों पर 28 प्रतिशत का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगता है। देश में केवल 7.5 प्रतिशत परिवारों के पास कार है। यह आंकड़ा चीन की तुलना में काफी कम है। चीन में शहरी परिवारों में लगभग आधे और ग्रामीण परिवारों में एक-चौथाई के पास कार है। इससे पहले Tesla के चीफ एग्जिक्यूटिव Elon Musk ने कहा था कि भारत में टैक्स अधिक होने के कारण कंपनी के लिए इलेक्ट्रिक कारों का इम्पोर्ट करना मुश्किल है। उन्होंने केंद्र सरकार से इम्पोर्ट किए जाने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर टैक्स को घटाने की मांग की थी। हालांकि, सरकार ने इससे इनकार कर दिया था।