चीनी कंपनियां और उनकी टेक्नॉलजी पर अक्सर सवाल उठते हैं। सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा की होती है। अब ताइवान के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि देश की प्राइवेट कंपनियों और लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे चीन के बने ड्रोन उनकी इन्फर्मेशन को बीजिंग ट्रांसफर कर सकते हैं। कई देश अपने पब्लिक सेक्टर को चीन में बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से रोकते हैं। ताइवान के इंस्टिट्यूट ऑफ नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी रिसर्च के डायरेक्टर सु त्ज़ु-यून के हवाले से Taiwan न्यूज ने लिखा है कि एनजीओ के साथ मिलकर ताइवान को चीनी प्रोडक्ट्स का नियमित रूप से टेस्ट करना चाहिए।
सु ने कहा कि पहले भी
Xiaomi,
Huawei और
ZTE के मोबाइल फोन और DJI ड्रोन के फर्मवेयर में डेटा ट्रांसमिशन सॉफ्टवेयर सेटिंग्स पाई गई हैं। यही वजह है कि US 2020 नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट ने फेडरल गवर्नमेंट को चीनी ड्रोन खरीदने से रोक दिया है।
ताइवान के नेशनल कम्युनिकेशंस कमीशन ने कहा है कि चीन के राष्ट्रीय खुफिया कानून के अनुच्छेद-14 के अनुसार, चीनी नागरिकों और उद्यमों पर इंटेलिजेंस ऑपरेशंस में सपोर्ट और मदद करने की जिम्मेदारी है।
नियम के मुताबिक, चीन जब भी देश के मैन्युफैक्चरर्स से जानकारी देने के लिए कहता है, तो वो मना नहीं कर सकते। जब प्राइवेट बिजनेसेज या लोग चीनी ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं, तो उससे जुड़ी अहम इमेज और जरूरी डेटा को चीनी मैन्युफैक्चरर्स को वापस भेजा जाता है। Taiwan न्यूज का
कहना है कि इस डेटा को चीनी सरकार के अधिकारियों को भेजा जा सकता है।
इस बारे में नेशनल चेंग कुंग यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ली चुंग-ह्सियन ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से चीनी में बने ड्रोन को पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए।
हालांकि ली ने कहा कि इस मामले से जुड़े अधिकारियों को चीनी ड्रोन के कामों की जांच करने के लिए व्यापक नियम बनाने की जरूरत है। मौजूदा नियम सिर्फ फ्लाइट सेफ्टी को रेगुलेट करते हैं। ताइवान और चीन के रिश्ते जगजाहिर हैं, इसलिए ताइवान अपने देश में चीनी उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर अलर्ट रहता है। लेकिन बात जब राष्ट्रीय सुरक्षा की आती है, तो इसे लेकर और अधिक गंभीर होने की जरूरत है। इस मामले में आगे क्या एक्शन लिया जाता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होने की उम्मीद है।