भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की सूचक बनी उत्कृष्ट भारतीय खोज इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर हाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं।
तो क्या अचानक ये मशीनें विफल हो गयी और किसी ने कभी इन्हें हैक किया? सर्वश्रेष्ठ तकनीक और पुख्ता सुरक्षा के साथ बनायी गयी ईवीएम को कभी किसी ने हैक नहीं किया। अगर कहीं समस्या है तो वह राजनीतिक मूल्यों में हो रही कमी में है।
स्वतंत्र तौर पर काम करने वाले भारत के निर्वाचन आयोग ने ईवीएम पर पूरा भरोसा जताया और उसे पूरी तरह सुरक्षित बताया है। उसने ईवीएम में छेड़छाड़ या गड़बड़ी के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार, अब तक राज्यों के 107 चुनाव और तीन संसदीय चुनावों में इन ईवीएम का उपयोग किया गया है। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में इन ईवीएम की दस लाख यूनिटों का उपयोग किया गया था और परिणामों को ईमानदार बताते हुए इनकी सभी ने सराहना की थी।
ब्राजील, नॉर्वे, जर्मनी, वेनेजुएला, भारत, कनाडा, बेल्जियम, रोमानिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इटली, आयरलैंड, यूरोपीय संघ और फ्रांस जैसे कुछ देश ही वोटिंग मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन अमेरिका जैसा दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश मतपत्र का ही इस्तेमाल कर रहा है।
वही वोटिंग मशीन विफल हो रही हैं और हैकिंग के लिहाज से संवेदनशील है जो इंटरनेट से जुड़ी हैं।
विशिष्ट तौर पर भारतीय वोटिंग मशीन इंटरनेट से जुड़ी नहीं है और इन्हें आधुनिक भारत की सबसे बेहतरीन खोज माना जाता है। उस मामले में हैकिंग आसान हो जाती है जब मशीन इंटरनेट से जुड़ी हों और डेटा को इंटरनेट के जरिये भेजा जा रहा हो।
वर्ष 2014 में देशभर में 930,000 मतदान केन्द्रों में 14 लाख ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बेंगलुरू और इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद इन ईवीएम की निर्माता कंपनी है। वोटिंग डेटा को एक साधारण आयातित चिप में रिकॉर्ड किया जाता है जो बहुत छोटी होती है और ईवीएम में पड़ने वाला हर वोट सीधे चिप में रिकॉर्ड हो जाता है।
ये मशीन काफी मजबूत है। अगर चिप से खुद ही डेटा नष्ट हो जाता है तो बैटरी खत्म होने या अचानक बिजली चले जाने के बाद भी डेटा रिकवर कर सकते हैं। मतदान को और अधिक निष्पक्ष बनाने के लिए पेपर ऑडिट ट्रायल भी धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है जिसमें मतदाता को वोट का सत्यापन करने वाली पर्ची भी मिलेगी।
चिप बनाने वालों को भी यह पता नहीं होता कि गांधीनगर से लेकर गुवाहाटी तक कहां इसका इस्तेमाल किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मशीन में कोई छेड़छाड़ ना की जाये, इसमें कई चरणों की सील लगायी जाती है जिससे किसी भी व्यक्ति के लिए यह पता लगाना नामुमकिन है कि किस निर्वाचन क्षेत्र में किस मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, "भारतीय मशीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और कोई भी यह नहीं दिखा पाएगा कि ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती है।" यहां तक कि मशीन की विश्वसनीयता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवायी करने वाले उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि ईवीएम विश्वसनीय और सुरक्षित हैं।
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