ट्रेन कहां पहुंची, यह जानने के लिए लगाई गई सेंसर मशीनों में गड़बड़ी

Railway : रेलवे ट्रैक पर ट्रैफ‍िक का पता लगाने के लिए इस्‍तेमाल होने वाली एक सेंसर मशीन में गड़बड़ी का पता चला है।

ट्रेन कहां पहुंची, यह जानने के लिए लगाई गई सेंसर मशीनों में गड़बड़ी

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेनों की आवाजाही का पता लगाने के लिए जो मशीन जिम्‍मेदार है, वह अपने काम में फेल रही है।

ख़ास बातें
  • रिपोर्ट कहती है कि बालासोर जैसा हादसा हो सकता है
  • रेलवे अपने 7 रीजन्‍स में ऐसी 3 हजार मशीनें लगा चुका है
  • कहा जा रहा है कि ये मशीनें फॉल्‍टी हैं
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भारतीय रेलवे ने इस साल बहुत बड़ा ट्रेन हादसा झेला है। बालासोर में हुई दु‍घर्टना में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस मामले में रेलवे पर लापरवाही के आरोप लगे हैं। रेलवे की कोशिश है कि दोबारा ऐसी दुघर्टना सामने ना आए। हालांकि एक रिपोर्ट ने रेलवे के दावों और तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे ट्रैक पर ट्रैफ‍िक का पता लगाने के लिए इस्‍तेमाल होने वाली एक सेंसर मशीन में गड़बड़ी का पता चला है। अधिकारियों ने मशीन की टेस्टिंग के बाद रिपोर्ट में बताया है कि उसमें गड़बड़ी है। इससे बालासोर जैसा हादसा हो सकता था। 

पीटीआई की एक खबर में इस बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेनों की आवाजाही का पता लगाने के लिए जो मशीन जिम्‍मेदार है, वह अपने काम में फेल रही है। मशीन का सेंसर कई बार तो ट्रेनों की आवाजाही को ट्रैक कर लेता है, लेकिन कई बार उसे इस बारे में पता नहीं चल पाता। ऐसी सिचुएशन में भी मशीन सिग्‍नल भेज देती है, जो बड़े हादसों को दावत देने जैसा है।  

रिपोर्ट कहती है कि रेलवे अपने 7 रीजन्‍स में ऐसी 3 हजार मशीनें लगा चुका है। कहा जा रहा है कि ये मशीनें फॉल्‍टी हैं। रिपोर्ट कहती है कि यह सिस्‍टम खराब है और किसी भी मेटल के संपर्क में आते ही सिग्‍नल सेंड कर देता है। 

जिन इंजीनियरों ने इस मामले की शिकायत की है, उनका कहना है कि इस तरह की गड़बड़ी से गलत इन्‍फर्मेशन मिलेगी, जिससे स्‍टेशन मास्‍टर कोई गलती कर सकता है। जाहिर तौर पर ऐसी स्थिति‍ बालासोर जैसी घटना को जन्‍म दे सकती है। इस मशीन को रेलवे ने उसकी एक यूनिट आरडीएसओ के निर्देशानुसार इंस्‍टॉल किया था। बताया जाता है कि ऐसी एक यूनिट पर 5 लाख रुपये खर्च आता है और रेलवे ने 4 हजार यूनिटें खरीदी हैं। 
 
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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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