आधार नंबर की गोपनीयता को लेकर हम और आप बेहद ही आशंकित रहते हैं। क्योंकि आधार नंबर का इस्तेमाल आज की तारीख में अलग-अलग काम के लिए होता है। ऐसे में इसके गलत इस्तेमाल का डर बना रहता है। हाल ही में मीडिया में आधार डेटा में सेंध, बायोमैट्रिक्स डेटा के दुरुपयोग और निजी जानकारी में सेंध की ख़बरें आई थीं। इन खबरों से पैदा हुई आशंकाओं को दूर करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने ‘वर्चुअल आईडी’ पेश किया है।
बताया गया कि कोई भी आधार कार्ड धारक प्राधिकरण की वेबसाइट पर जाकर अपना वर्चुअल आईडी निकाल सकते हैं। इसके जरिये बिना आधार संख्या साझा किये सिम के सत्यापन समेत कई अन्य कार्य किये जा सकते हैं। इसे एक मार्च 2018 से स्वीकार किया जाने लगेगा। सत्यापन के लिए आधार का इस्तेमाल करने वाली सभी एजेंसियों के लिए वर्चुअल आईडी स्वीकृत करना एक जून 2018 से अनिवार्य हो जाएगा। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को लागू होने में अभी वक्त लगेगा। इस बीच आप अपने आधार नंबर और आधार डेटा को इस तरह से सुरक्षित रख सकते हैं।
(पढ़ें:
आधार कार्ड का स्टेटस पता करने का तरीका)
आधार ऑथेंटिकेशन की हिस्ट्री जांचें
आप चाहें तो यह भी जान सकते हैं कि आपके आधार डेटा का ऑथेंटिकेशन के लिए कब-कब इस्तेमाल हुआ है। इस प्रक्रिया के बारे में
गैजेट्स 360 ने विस्तार से जानकारी दी थी। फिर भी बता दें कि इसके लिए आप UIDAI के आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री पेज पर जाएं। यहां पर अपना आधार नंबर डालें और साथ में तस्वीर में दिख रहे कैपचा कोड को भी।इसके बाद Generate OTP पर क्लिक करें। आपको वनटाइम पासवर्ड एसएमएस के ज़रिए आपके फोन पर मिलेगा। अगले पेज पर UIDAI की ओर से अलग-अलग ऑथेंटिकेशन रिक्वेस्ट को फिल्टर करने की सुविधा मिलेगी। आप बायोमैट्रिक, डेमोग्राफिक और अन्य तरीके से फिल्टर लगा सकते हैं। यहां पर किसी खास तारीखों के बीच भी जांच सकते हैं। इसकी सीमा 6 महीने की है। आखिरी फिल्ड ओटीपी का है। यहां पर ओटीपी डालें और सब्मिट पर क्लिक कर दें। इसके बाद आप आधार ऑथेंटिकेशन रिक्वेस्ट का विस्तृत ब्योरा देख पाएंगे। यहां पर तारीख, वक्त और किस तरह से ऑथेंटिकेशन हुआ है, ये सारी जानकारियां मिल जाएंगी। हालांकि, आप यह नहीं जान पाएंगे कि किस कंपनी या एजेंसी ने ऑथेंटिकेशन के लिए आधार डेटा को इस्तेमाल किया।
1 मार्च से वर्चुअल आधार आईडी को करें इस्तेमाल
वर्चुअल आईडी बायोमीट्रिक्स के साथ 16 अंकों वाली संख्या होगी। इससे मोबाइल कंपनी या किसी अन्य प्राधिकृत एजेंसी को उपभोक्ता का नाम, पता व फोटो मिल जाएगा जो कि सत्यापन के लिए पर्याप्त है। वर्चुअल आईडी किसी भी व्यक्ति की आधार संख्या पर आधारित होगी। अधिकारियों ने बताया कि कोई भी कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आईडी बना सकते हैं। नयी वर्चुअल आईडी बनाते ही पुराना वाला स्वत: ही रद्द हो जाया करेगा। इसके जरिये बिना आधार संख्या साझा किये सिम के सत्यापन समेत कई अन्य कार्य किये जा सकते हैं।
आधार बायोमैट्रिक डेटा को ऑनलाइन करें लॉक
कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां लोगों ने आधार बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया है। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने कई दिनों से अपना आधार कार्ड इस्तेमाल भी नहीं किया है, लेकिन उन्हें यूआईडीएआई से ईमेल आया है कि उनके डेटा को बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के ज़रिए एक्सेस किया गया है। आप इस परिस्थिति से बच सकते हैं अगर आप यूआईडीएआई सर्वर पर जाकर बायोमैट्रिक इंफॉर्मेशन लॉक कर दें। आप इसे इस्तेमाल में लाने से पहले अनलॉक भी कर सकते हैं।
आपको यह करना होगा।
आधार से जुड़ी जानकारी किसी के साथ साझा ना करें
यह बात हमेशा ध्यान रखें कि कोई भी सरकारी संस्थान या बैंक कभी भी आपसे आधार नंबर जैसी गोपनीय और निज़ी जानकारी की सूचना फोन या ईमेल के जरिए नहीं पूछता है। अगर कोई ऐसा फोन या ईमेल मिले तो कभी भी अपने आधार के बारे जानकारी सार्वजनिक ना करें।
याद रहे कि आपको हर जगह आधार की एक कॉपी ले जाने की ज़रूरत नहीं है। आप चाहें तो एमआधार ऐप रख सकते हैं, या
आधार कार्ड की कॉपी डाउनलोड कर सकते हैं।
बायोमैट्रिक्स डेटा का इस्तेमाल सोच समझ कर
संभव है कि रिलायंस जियो सिम खरीदते वक्त आपने अपने अंगूठे का निशान एक स्कैनर के साथ साझा किया होगा। आने वाले समय में और भी जगहों पर आधार कार्ड पर आधारित व्यवस्था में ऐसे ही फिंगरप्रिंट स्कैन की व्यवस्था होगी। अगर आप किसी स्कैनर को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं तो हमारा सुझाव होगा कि आप अंगूठे का निशान नहीं दें।