Aadhaar के डेटाबेस में दूर होगी गड़बड़ियां, 2 करोड़ से ज्यादा मृत लोगों की ID हुई डिसएबल

सरकार के आधिकारिक मृत्यु पंजीकरण के अनुसार आधार के डेटाबेस को नियमित तौर पर अपडेट करने की तैयारी की जा रही है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 27 नवंबर 2025 15:26 IST
ख़ास बातें
  • UIDAI ने आधार के डेटाबेस को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की है
  • आधार के रिकॉर्ड से मृत व्यक्तियों का डेटा हटाया जा रहा है
  • इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है

पिछले वर्ष UIDAI ने यह प्रक्रिया शुरू की थी

देश में पिछले कुछ वर्षों में नागरिकों की पहचान के एक प्रमुख प्रमाण के तौर पर Aadhaar का महत्व तेजी से बढ़ा है। हालांकि, आधार से जुड़े डेटाबेस का निरंतर अपडेट नहीं होना एक बड़ी समस्या भी है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार के डेटाबेस को अपडेट करने के लिए मृत लोगों से जुड़े दो करोड़ से ज्यादा आधार नंबर्स को डीएक्टिवेट किया है। 

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि UIDAI ने मृत्यु पंजीकरण के अलावा रजिस्ट्रेशन जनरल ऑफ इंडिया, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों और राज्य सरकारों की ओर से मिले डेटा का आधार के रिकॉर्ड से मिलान करने के बाद ये डीएक्टिवेशन किए हैं। UIDAI ने बताया है कि किसी आधार नंबर के डीएक्टिवेशन से पहले रिकॉर्ड की जांच की जाती है। आधिकारिक मृत्यु पंजीकरण के अनुसार आधार के डेटाबेस को नियमित तौर पर अपडेट करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए परिवार के सदस्य भी किसी रिश्तेदार की मृत्यु की रिपोर्ट myAadhaar पोर्टल पर दे सकते हैं। इसके लिए परिवार के एक सदस्य को पोर्टल पर ऑथेंटिकेट कर आधिकारिक मृत्यु पंजीकरण नंबर और जरूरी विवरणों के साथ आधार नंबर को सबमिट करना होता है। 

इसके बाद UIDAI इस जानकारी की समीक्षा करता है और वेरिफिकेशन के बाद आधार नंबर को डीएक्टिवेट किया जाता है। पिछले वर्ष UIDAI ने मृत लोगों के आधार नंबर को हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी। UIDAI ने आइडेंटिटी की चोरी को रोकने के लिए किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिवारों से मृत्यु प्रमाणपत्र लेने के बाद इससे जुड़ी जानकारी को पोर्टल पर देने का आग्रह किया है। 

हालांकि, कुछ राज्यों में पंजीकरण व्यवस्था में कमियों और मृत्यु से जुड़े डेटा को नियमित तौर पर अपडेट नहीं करने की वजह से गलत तरीके से डीएक्टिवेशन होने की भी आशंका है। इससे बहुत से नागरिकों के लिए समस्या हो सकती है। UIDAI का कहना है कि ऐसी गड़बड़ियों को न्यूनतम करने के लिए डेटा के एक से अधिक स्रोतों और वेरिफिकेशन के मजबूत तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई आधार नंबर गलत तरीके से डीएक्टिवेट होता है तो संबंधित व्यक्ति इसमें सुधार के लिए UIDAI की इसे दोबारा एक्टिवेट करने की प्रक्रिया के जरिए इसे ठीक करवा सकता है। 

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