पिछले कुछ वर्षों में गेमिंग का बिजनेस तेजी से बढ़ा है। देश में गेमिंग फर्मों की लगभग 23,000 करोड़ रुपये की गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) चोरी का खुलासा हुआ है। इसकी टैक्स अधिकारी जांच कर रहे हैं। GST की यह चोरी तीन वर्ष से अधिक से की जा रही थी। इस मामले में करोड़ों रुपये के एसेट्स भी जब्त किए गए हैं।
वित्त राज्यमंत्री Pankaj Chaudhary ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने सायबर और क्रिप्टो एसेट्स से जुड़े कई ऐसे मामलों में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के एसेट्स जब्त किए हैं जिनमें गड़बड़ी करने के लिए ऑनलाइन गेमिंग का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट एंड कस्टम्स (CBIC) ने कुछ गेमिंग फर्मों के खिलाफ जांच शुरू की है। ये फर्में भारत और विदेश में हैं। चौधरी ने बताया, "इन फर्मों की ओर से 22,936 करोड़ रुपये की GST चोरी का अनुमान है।"
ऑनलाइन गेमिंग के लिए
GST बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही गेमिंग पर GST लगाने के लिए रकम को कैलकुलेट करने के फॉर्मूला में बदलाव किया जा सकता है। ऑनलाइन गेमिंग पर GST की मौजूदा दर 18 प्रतिशत है। इसे बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया जा सकता है। इसमें गेम ऑफ स्किल या गेम ऑफ चांस दोनों प्रकार की गेमिंग के लिए टैक्स की दर को समान रखा जाएगा।
GoM की रिपोर्ट को जल्द ही विचार के लिए GST काउंसिल को दिया जा सकता है। मेघालय के वित्त मंत्री कॉनरैड संगमा की अगुवाई वाले GoM ने जून में GST काउंसिल को सौंपी रिपोर्ट में ऑनलाइन
गेमिंग पर 28 प्रतिशत का टैक्स लगाने की सिफारिश की थी। यह टैक्स प्लेयर की ओर से चुकाई जाने वाली फीस सहित गेमिंग की रकम पर लगना था। इसमें टैक्स लगाने के लिए गेम ऑफ स्किल या गेम ऑफ चांस जैसी कोई कैटेगरी नहीं रखी गई थी। हालांकि, काउंसिल ने GoM से रिपोर्ट पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था। इसके बाद GoM ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से विचार विमर्श करने के साथ ही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग की थी। गेम ऑफ स्किल या गेम ऑफ चांस की अलग कैटेगरी पर विचार करने के बाद GoM ने दोनों प्रकार की गेमिंग के लिए डीमेरिट गुड्स के तौर पर टैक्स लगाने का फैसला किया गया था।