बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनियों में शामिल Tesla ने 60 लाख EV की मैन्युफैक्चरिंग कर ली है। कंपनी ने यह उपलब्धि अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने के 16 वर्ष बाद हासिल की है। इसने EV की 10 लाख यूनिट्स सिर्फ छह महीनों में बनाई है। टेस्ला को शुरुआती 10 लाख यूनिट्स बनाने में 12 वर्ष लगे थे।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में बड़ा बदलाव लाने वाली टेस्ला के मॉडल 3, मॉडल S और मॉडल X की बड़ी संख्या में बिक्री होती है। कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो पोस्ट कर इस उपलब्धि की जानकारी दी है। पिछले वर्ष टेस्ला की बिक्री 12 लाख यूनिट्स से अधिक की थी। हाल ही में टेस्ला ने Cybertruck को लॉन्च किया था हालांकि, इस मार्केट में कंपनी को चीन की
BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है। हाल ही में BYD ने प्लग-इन हाइब्रिड कारों की 70 लाख यूनिट्स की मैन्युफैक्चरिंग तक पहुंची थी। हाल ही में BYD की Seal EV को भारत में लॉन्च किया गया था। इसका प्राइस लगभग 41 लाख रुपये से 53 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच है। इसे तीन वेरिएंट्स - प्रीमियम, डायनैमिक और परफॉर्मेंस में उपलब्ध कराया गया है। देश में Seal के अलावा BYD की Atto 3 और e6 की भी बिक्री की जाती है।
पिछले कुछ वर्षों से
टेस्ला के CEO, Elon Musk ने देश में बिजनेस शुरू करने की कोशिशें की हैं। हालांकि, वह इसके लिए इम्पोर्ट टैक्स में कटौती चाहते हैं। मस्क का मानना है कि देश में व्हीकल्स पर इम्पोर्ट टैक्स बहुत ज्यादा है। टेस्ला के सबसे सस्ते व्हीकल मॉडल 3 का अमेरिका में प्राइस लगभग 38,990 डॉलर का है। पिछले वर्ष मस्क की अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मीटिंग भी हुई थी।
EV के बड़े मार्केट्स में अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, इन दोनों देशों के बीच तनाव का असर इनके कारोबार पर भी पड़ रहा है। अमेरिका के इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट को लेकर चीन ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन ( WTO) में शिकायत की है। चीन का आरोप है कि यह एक्ट भेदभाव वाला है और इससे उचित प्रतिस्पर्धा को नुकसान हो रहा है। इस वर्ष की शुरुआत से अमेरिका में EV खरीदने वालों को 3,750 डॉलर से 7,500 डॉलर के टैक्स क्रेडिट तभी मिलेंगे अगर EV में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण मिनरल्स या अन्य बैटरी कंपोनेंट्स चीन, रूस, उत्तर कोरिया या ईरान से नहीं लिए गए या इनकी फर्मों ने नहीं बनाए हैं।