देश में रजिस्टर्ड
इलेक्ट्रिक टू वीलर्स की संख्या अब 28 लाख 55 हजार 15 हो गई है, जबकि इलेक्ट्रिक फोर वीलर वीकल्स की संख्या 4 दिसंबर तक 2 लाख 57 हजार 169 हो गई है। यह जानकारी हाल ही में संसद में दी गई। भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने एक लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के वाहन पोर्टल के अनुसार, ओडिशा में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वीकल्स (EV) की कुल संख्या 1 लाख 45 हजार 479 है, जिसमें अडोप्शन रेट 1.24 प्रतिशत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिलहाल, ओडिशा राज्य में ऑटो आरएंडडी क्लस्टर स्थापित करने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
ईवी कस्टमर्स को विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए प्रोत्साहित किया जाता है। जैसे- भारत में फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना। यह योजना 1 अप्रैल 2019 से पांच साल के लिए है, जिसमें कुल 11,500 करोड़ रुपये का बजट है। इस योजना ने ई-2वीलर, ई-3 वीलर, ई-4 वीलर, ई-बसों और ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों को प्रोत्साहित किया।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वीकल्स पर GST को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। परिवहन मंत्रालय ने घोषणा की है कि बैटरी से चलने वाले वीकल्स को ग्रीन लाइसेंस प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट की जरूरतों से छूट दी जाएगी।
परिवहन मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके राज्यों को इलेक्ट्रिक वीकल्स पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वीकल्स की शुरुआती लागत कम करने में मदद मिलेगी। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने भी 'मॉडल बिल्डिंग बाय-लॉज' में संशोधन किया है, जिसके तहत प्राइवेट और कमर्शल बिल्डिंगों में चार्जिंग स्टेशन शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है।
ईवी गाड़ियों की संख्या में आने वाले दिनों में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक ड्राइव रेवोल्यूशन इन इनोवेटिव वीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) योजना है। 1 अक्टूबर 2024 से लागू हुई स्कीम 31 मार्च 2026 तक चलेगी। इसका मकसद देशभर में चार्जिंग के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना और ईवी मैन्युफैक्चरिंग में देश में सशक्त बनाना है।