ट्विटर के पूर्व CEO और को-फाउंडर जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में बड़े कदम का ऐलान किया है। डोर्सी ने घोषणा की है कि उनकी डिजिटल पेमेंट्स फर्म ‘ब्लॉक' (Block) लोगों के लिए बिटकॉइन माइनिंग को आसान बनाने पर काम कर रही है। एक ट्वीट में डोर्सी ने कहा कि ‘ब्लॉक' ‘ऑफिशियली एक ओपन बिटकॉइन माइनिंग सिस्टम का निर्माण कर रही है।' गौरतलब है कि ब्लॉक का नाम पहले स्क्वॉयर था। ओपन बिटकॉइन माइनिंग का आइडिया पिछले साल शेयर किया गया था। भारत में बिटकॉइन की कीमत फिलहाल 34.11 लाख रुपये के आसपास है।
ट्विटर के को-फाउंडर रहे डोर्सी ने पिछले साल नवंबर में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अलविदा कह दिया था। डोर्सी अब अपनी डिजिटल पेमेंट्स फर्म पर फोकस कर रहे हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में काम करेगी।
ब्लॉकचेन और आर्थिक सशक्तीकरण से जुड़े अपने व्यापक मिशन को दर्शाने के लिए डोर्सी ने स्क्वॉयर का नाम बदलकर ब्लॉक किया है।
डोर्सी के ट्वीट के अनुसार, ब्लॉक की हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर टीमें क्रिप्टोकरेंसी कम्युनिटी के साथ खुले तौर पर सहयोग करेंगी। इसका मकसद एक माइनिंग सिस्टम तैयार करना है, जिसका इस्तेमाल कोई भी कर सकता है।
ब्लॉक के हार्डवेयर के जनरल मैनेजर थॉमस टेम्पलटन ने ट्विटर पर प्रोजेक्ट का मकसद बताया है। इसके तहत माइनिंग को हर तरफ डिस्ट्रिब्यूट करने के लिए तमाम चीजें पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम इसे भविष्य की एक जरूरत के रूप में देखते हैं, जो पूरी तरह से डीसेंट्रलाइज्ड हो।
‘ब्लॉक' का सिस्टम कब तैयार होगा, इसकी कोई टाइमलाइन कंपनी ने नहीं बताई है। कंपनी क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर करने के लिए एक वॉलेट पर भी काम कर रही है।
अपने ट्वीट में टेंपलटन ने कहा कि ज्यादातर लोगों के लिए खनन उपकरण खोजना अभी मुश्किल है। कंपनी इसी सिस्टम को तैयार करने पर काम कर रही है, ताकि कोई भी कहीं भी आसानी से माइनिंग कर सके।
साल 2021 में बिटकॉइन की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची। हालांकि इस साल की शुरुआत बिटकॉइन के लिए अच्छी नहीं रही है। सोमवार को यह करेंसी 40,000 डॉलर (लगभग 30 लाख रुपये) से नीचे आ गई। यह सितंबर के बाद से बिटकॉइन का सबसे निचला स्तर है।
ध्यान रहे बिटकॉइन माइनिंग का मतलब बिटकॉइन तैयार करने से है। इसके लिए बड़ी मशीनों का इस्तेमाल होता है, जिसमें काफी बिजली खर्च होती है। बिटकॉइन माइनिंग का पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है, जिस वजह से दुनियाभर में इसकी अलोचना होती है। बिटकॉइन माइनिंग में खर्च हो रही बेतहाशा बिजली को देखते हुए हाल के दिनों में कई देशों ने कड़े कदम उठाए हैं।