क्रिप्टोकरेंसी बाजार के क्रेज ने गोल्ड ट्रेडिंग की चमक को भी फीका कर दिया है। अब निवेशक वर्चुअल करेंसी की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं ज्यादातर निवेशक जो जोखिम लेने से बचना चाहते हैं वे अभी भी गोल्ड पर ही फोकस रखने के पक्ष में हैं। इस बारे में यह चर्चा गर्म है कि क्या निवेश के लिए अब सोना अपनी अहमियत खो चुका है?
ऑस्ट्रियाई निवेशक और फंड मैनेजर रोनाल्ड-पीटर स्टोफेरले ने कहा कि सोने को लेकर निवेश बाजार में चीजें इसके पक्ष में नहीं हैं। यह ट्रेंड आगे आने वाले समय में और अधिक बढ़ सकता है। वहीं Incrementum AG के मैनेजिंग पार्टनर Stoeferle ने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कहा कि अगर बिटकॉइन अगले 5 से 10 वर्षों के लिए रहता है, तो यह उस स्तर पर पहुंच सकता है जिसके बारे में हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान Stoeferle से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि सोना अब मर चुका है और क्या बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने इस कीमती धातु का मूल्य घटाया है?
उन्होंने कहा कि ग्लोबल फाइनेंशिअल मार्केट्स "मॉनिटरी टिपिंग पॉइंट" पर पहुंच गई हैं। इस प्वॉइंट के बाद इनफ्लेशन बढ़ेगी, रीयल इंटरेस्ट रेट नेगेटिव या जीरो के करीब रहेंगे, और मॉनिटरी पॉलिसी फिस्कल पॉलिसी की तुलना में बाजारों के लिए कम प्रभावी होगी। उनके अनुसार यह fiscal के राज का युग होगा।
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी कीमतों में बढ़ोत्तरी का अगला फेज़ अभी शुरू होना बाकी है। 2 अप्रैल को
भारत में बिटकॉइन की कीमत लगभग 34.3 लाख रुपये थी।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अगर पांच से दस वर्षों तक बिटकॉइन रहता है, इसकी कीमत वहां तक जाएगी जिसकी हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
Bitcoin को हाल ही में अल सल्वाडोर द्वारा इस महीने की शुरुआत में लीगल टेंडर के रूप में अपनाया गया था। हालाँकि दुनिया में यह पहला कदम शुरुआती समस्याओं से घिरा हुआ था, क्योंकि नागरिकों को इसमें विश्वास नहीं था और उनका गुस्सा इस पर फूट पड़ा था। साथ ही इसके लागू करने में तकनीकी गड़बड़ियां भी रहीं और क्रिप्टकरेंसी की कीमतें भी गिर गई थीं।