मार्केट वैल्यू के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin पर इंटरेस्ट रेट्स के बढ़ने का बड़ा असर हो सकता है। इससे ऐसे इनवेस्टर्स के लिए रिस्क बढ़ सकता है जो बिटकॉइन में गिरावट का फायदा उठाकर इसमें खरीदारी करना चाहते हैं। यह क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयर्स जैसे अन्य रिस्क वाले एसेट्स के साथ गिरी है। इसके पीछे अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से पिछले सप्ताह रेट्स में बढ़ोतरी करना एक बड़ा कारण है।
फेडरल रिजर्व की ओर से तीन वर्ष पहले तक रेट्स में बढ़ोतरी करने का बिटकॉइन पर असर नहीं पड़ा था। इसके अलावा शेयर्स में गिरावट से भी इसके मूवमेंट का जुड़ाव नहीं था। क्रिप्टो मार्केट में प्राइसेज का मूवमेंट हैरान करने वाला है और इससे गिरावट पर खरीदने करने का मौका खोज रहे ट्रेडर्स के लिए रिस्क भी बढ़ा है। बिटकॉइन का प्राइस मंगलवार को गिरकर 29,731 डॉलर तक हो गया। यह पिछले 10 महीनों में इसका सबसे निचला लेवल है। पिछले सप्ताह
बिटकॉइन में लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जो इस वर्ष की शुरुआत से इसका सबसे अधिक साप्ताहिक
नुकसान था।
क्रिप्टो प्लेटफॉर्म Stack Funds के COO Matt Dibb ने कहा, "यह पहली बार नहीं है कि जब बिटकॉइन इस लेवल पर है। पिछले एक वर्ष में गिरावट पर बिटकॉइन को खरीदने के लिए अच्छा मौका था लेकिन स्थिति इस बार अलग है। अगले कुछ महीनों या वर्षों में इन्फ्लेशन और रेट्स बढ़ने से फाइनेंशियल मार्केट्स के लिए सेंटीमेंट कमजोर हो सकता है। इसका असर बिटकॉइन पर भी पड़ने की आशंका है।" फेडरल रिजर्व ने पिछले सप्ताह रेट में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, जो 22 वर्षों में सबसे अधिक है। जून और जुलाई में भी रेट में इतनी ही बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिना इंटरेस्ट के फंड मिलने का दौर समाप्त हो चुका है। इनवेस्टर्स अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether का प्राइस सोमवार को गिरकर लगभग 2,360 डॉलर हो गया था। यह फरवरी के बाद से इसका लो लेवल है। अन्य ऑल्टकॉइन्स में भी काफी बिकवाली हुई है जिससे इनके प्राइसेज घट गए हैं। कुछ देशों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्ती होने का असर भी इस मार्केट पर हो सकता है।
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