Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO ने बताया कैसे फेल हुआ था चंद्रयान-2 मिशन

Chandrayaan-3 : इसरो ने कहा, सभी एरर एक साथ हो गए, जो अपेक्षा से ज्‍यादा थे।

Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO ने बताया कैसे फेल हुआ था चंद्रयान-2 मिशन

Photo Credit: ISRO

इसरो ने कहा, चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाए चंद्रयान-3 में विफलता आधारित डिजाइन को चुना है।

ख़ास बातें
  • लैंडर ‘विक्रम’ के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाने की दी जानकारी
  • इसरो ने बताया कि चंद्रयान 2 मिशन में कहां-कहां गलती हुई
  • चंद्रयान-3 मिशन को इस शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे किया जाएगा लॉन्‍च
विज्ञापन
इस साल भारत के सबसे बड़े स्‍पेस मिशन ‘चंद्रयान-3' (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग का हफ्ता आ गया है। इस शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) देश का तीसरा मून मिशन लॉन्‍च करेगा। इस बार अधिक ईंधन और कई सुरक्षित उपायों के साथ चंद्रमा पर उतरने की एक और कोशिश की जाएगी। शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरने वाला चंद्रयान-3 मिशन सितंबर 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 का अगला भाग है। चंद्रयान-2 मिशन एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाया था। 

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सोमवार को चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' के ‘सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाने की डिटेल्‍स शेयर कीं। उन्‍होंने बताया कि साल 2019 में जब लैंडर ‘विक्रम' ने चांद की सतह पर तय 500मीटर x 500 मीटर के लैंडिंग प्‍लेस पर उतरना शुरू किया तो उसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से ज्‍यादा बल विकसित हो गया।

पीटीआई के अनुसार, एस सोमनाथ ने एसआईए इंडिया द्वारा आयोजित भारतीय अंतरिक्ष कांग्रेस में संवाददाताओं से कहा, हमारे पास पांच इंजन थे जिनका इस्‍तेमाल वेग को कम करने के लिए किया गया। उन इंजनों में अपेक्षा से अधिक बल विकसित हो गया।' सोमनाथ ने कहा कि अधिक बल जेनरेट होने से कुछ ही अवधि में त्रुटियां पैदा हो गईं।

उन्‍होंने कहा कि सभी एरर एक साथ हो गए, जो हमारी अपेक्षा से ज्‍यादा थे। यान बहुत तेजी से मुड़ने लगा, तो उसकी मुड़ने की क्षमता सॉफ्टवेयर द्वारा सीमित हो गई। हमने कभी ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं की थी। उन्‍होंने कहा कि विफलता की एक और वजह 500 मीटर x 500 मीटर की छोटी जगह थी। 

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाए इसरो ने चंद्रयान-3 में विफलता आधारित डिजाइन को चुना है। लैंडिंग क्षेत्र को बढ़ाकर 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर कर दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 में ईंधन भी अधिक है। जरूरत पड़ने पर यह ऑप्‍शनल लैंडिंग स्थल पर भी जा सकता है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , ISRO, S Somnath, Science News In Hindi
प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Ursid Meteor Shower 2024: दिसंबर में इस दिन होगी उल्काओं की बारिश! ऐसे देखें अद्भुत नजारा
  2. JioTag Go vs JioTag Air: Rs 1,499 में कौन सा डिवाइस ट्रैकर है बेस्ट?
  3. मारूति सुजुकी जनवरी में पेश करेगी अपना पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल eVitara
  4. Lava Blaze Duo 5G फोन Rs 2 हजार सस्ते में खरीदने का मौका, 64MP कैमरा, 8GB रैम जैसे हैं फीचर्स
  5. OnePlus Watch 3 के लॉन्च से पहले रेंडर्स लीक, डिजाइन, बैटरी समेत कई फीचर्स का खुलासा
  6. सिंगल चार्ज में 11 घंटे चलने वाला Xiaomi Burgundy Red Mini ब्लूटूथ स्पीकर लॉन्च, जानें कीमत
  7. देश की EV इंडस्ट्री 2030 तक बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये की होगीः गडकरी 
  8. Pushpa 2 Collection Day 16: अल्लू अर्जुन की Pushpa-2 भारत में Rs 1000 करोड़ के पार!
  9. मिस्र के प्राचीन मकबरे में मिलीं 'सोने की जीभ' के साथ 13 ममी!
  10. बार-बार भूलते हैं चीजें? JioTag Go ढूंढकर देगा, जानें कीमत, और कैसे करता है काम
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »