Arogya Setu ऐप को भारत में तेज़ी से डाउनलोड और इंस्टॉल किया जा रहा है। ऐप ने लॉन्च के कुछ दिनों के अंदर लाखों डाउनलोड्स हासिल कर लिए थे और अब लेटेस्ट जानकारी के मुताबिक, आरोग्य सेतु ऐप को को 7.5 करोड़ (75 मिलियन) बार डाउनलोड किया जा चुका है। आरोग्य सेतु ऐप को 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था और तब से तेजी से बढ़ रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के अधिकारियों द्वारा एक रिव्यू मीटिंग के दौरान नई जानकारी को साझा किया गया था। MeitY के एक बयान के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री, संजय धोत्रे को लगता है कि यह ऐप "COVID-19 से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण ज़रियों में से एक है।" मुफ्त ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। हालांकि अब Aarogya Setu ऐप पर गोपनीयता संबंधी चिंताएं भी नज़र सामने आनी लगी हैं, लेकिन पीएम मोदी और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा इसे डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहन देने के बाद, ऐसा मुश्किल ही लगता है कि इस ऐप का विकास रोका जाएगा।
धोत्रे ने अधिकारियों से कहा कि वे जितना हो सके ऐप को बढ़ावा दें। उन्होंने कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे तरह-तरह के प्रयासों को भी सराहा।
बयान ने धोत्रे का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार के पास मानवता की सेवा के लिए एक "ऐतिहासिक अवसर" है और इसका "पूरी तरह से उपयोग किया जाना चाहिए और आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए।"
Aarogya Setu ऐप किसी यूज़र के स्थान और ब्लूटूथ डेटा का उपयोग उन्हें यह बताने के लिए करता है कि वे सुरक्षित स्थान पर हैं या नहीं। यह यूज़र्स को यह भी बताता है कि क्या वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जो कोरोनावायरस के लिए पॉजिटिव आया हो।
हालांकि कुछ कारणों से तेजी से बढ़ते आरोग्य सेतु ऐप पर यूज़र्स की गोपनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (SFLC.in) के एक
पोस्ट के अनुसार, ऐप संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा जैसे कि यूज़र के लिंग और यात्रा की जानकारी एकत्र करता है जो बाद में क्लाउड में स्टोर होती है। SFLC.in की टीम ने साझा किया, (अनुवादित) "ऐप लगातार रजिस्टर्ड यूज़र के स्थान का डेटा लेता है और उन स्थानों का रिकॉर्ड स्टोर करता है जहां यूज़र अन्य रजिस्टर्ड यूज़र्स के संपर्क में आया था।" यहां चिंता का मुख्य विष्य यह है कि Aarogya Setu एप्लिकेशन रिवर्स इंजीनियरिंग को भी प्रतिबंधित करता है यानी सुरक्षा शोधकर्ताओं को यह पता लगाने से रोकता है कि इसमें वास्तव में किस तरह की गोपनीयता से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। जीपीएस डेटा के इस्तेमाल को लेकर भी
चिंताएं हैं।