Google I/O 2025 में कंपनी का फोकस AI अपडेट्स और फीचर्स पर सबसे ज्यादा रहा। इवेंट के दौरान कंपनी ने एक ऐसा नया टूल पेश किया जो AI जेनरेटेड कंटेंट की पहचान कर सकेगा। यानी अब AI खुद अपने ही बनाए कंटेंट की पहचान करके बता देगा कि यह कंटेंट AI की मदद से लिखा गया है या बिना AI का सहारा लिए। आइए विस्तार से जानते हैं इस नए टूल के बारे में।
SynthID Detector के नाम से
गूगल ने नया AI टूल पेश कर दिया है जो एआई द्वारा जेनरेट किए गए कंटेंट की पहचान कर लेगा। हालांकि अभी यह टेस्टिंग फेज में है। कंपनी का कहना है कि यह इसके
AI मॉडल्स की मदद से बनाए गए मल्टीमोडाल कंटेंट का पता भी लगाएगा और उसकी पहचान भी करेगा। तकनीकी की मदद से ऑडियो, वीडियो, इमेज, टेक्स्ट आदि की पहचान की जा सकेगी। जिससे यूजर फटाक से बता पाएगा कि कंटेंट मानव निर्मित है या फिर AI निर्मित है।
कंपनी ने सबसे पहले 2023 में SynthID को एक ऐसी तकनीक के रूप में पेश किया था जो कंटेंट में एक अदृश्य वॉटरमार्क जोड़ सकती है जिसे हटाया या जिसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। 2024 में कंपनी ने बिजनेसेज और डेवलपर्स के लिए टेक्स्ट वॉटरमार्किंग तकनीक को ओपन-सोर्स किया। खास सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके देखने पर यह अदृश्य वॉटरमार्क दिखाई देता है। Google अब SynthID Detector नामक एक वैरिफिकेशन पोर्टल टेस्टिंग कर रही है जो लोगों को यह जल्दी से चेक की अनुमति देगा कि कोई मीडिया AI का इस्तेमाल करके बनाया गया है या नहीं।
एक ब्लॉग पोस्ट में गूगल ने कहा कि यह नया पोर्टल “जनरेटिव मीडिया के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में ट्रांसपेरेंसी लाता है।” Veo 3 और Imagen 4 AI जैसे मॉडल हाइपररियलिस्टिक इमेज और वीडियो जेनरेट कर सकते हैं। इतने उन्नत AI कंटेंट जेनरेशन के चलते डीपफेक का जोखिम भी काफी बढ़ गया है।
Google का कहना है कि उसका यह नया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल में बहुत आसान है। यूजर इसमें मीडिया को अपलोड कर सकता है और SynthID Detector उसे स्कैन करता है और पता लगाता है कि इसमें कोई SynthID वाटरमार्क भी है या नहीं। उसके बाद यह रिजल्ट को दिखाता है। अगर कोई वाटरमार्क इसमें मिल जाता है तो यह मीडिया के उस हिस्से को हाइलाइट कर देता है जो कि AI जेनरेटेड हो सकता है। यहां पर एक बात जरूर नोट कर लें कि यह टूल सिर्फ Google AI प्रोडक्ट्स द्वारा बनाए गए कंटेंट की ही पहचान कर सकता है।