पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल से ट्रांजैक्शंस की वैल्यू बढ़कर 198 लाख करोड़ रुपये की थी। यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ट्रांजैक्शंस की बढ़ी हिस्सेदारी है। पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में मोबाइल से पेमेंट्स क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स के जरिए खर्च की गई रकम की तुलना में लगभग 14.5 प्रतिशत अधिक थी।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बताया है कि अगले महीने से स्पेशल कैरेक्टर्स वाली ID से की जाने वाली UPI ट्रांजैक्शंस को ब्लॉक कर दिया जाएगा। देश में रिटेल पेमेंट्स और सेटलमेंट सिस्टम्स को NPCI ऑपरेट करता है। इसका उद्देश्य UPI की टेक्निकल स्पेसिफिकेशंस के कम्प्लायंस को सुनिश्चित करना है। हाल ही में में WhatsApp के सभी यूजर्स के लिए UPI सर्विसेज उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई थी।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने पेटीएम को इसके लिए हरी झंडी दी है। कुछ महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से पेटीएम की बैंकिंग यूनिट पर बैन लगाया गया था। इस बैन का कारण कम्प्लायंस से जुड़े मुद्दे थे। इसके बाद पेटीएम के शेयर प्राइस में भारी गिरावट हुई थी। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इसमें कुछ रिकवरी हुई है।
एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर लगभग 92 लाख मासिक ट्रांजैक्टिंग यूजर्स (MTU) है। यह संख्या पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में लगभग 1.14 करोड़ यूजर्स से काफी कम है
एक्सचेंज के यूजर्स के लिए पेमेंट के विकल्प के तौर पर UPI को हटाया जाना चिंता का एक संकेत है क्योंकि ऐप पर परचेज के लिए किसी अन्य तरीके को सपोर्ट नहीं है