Cotton candy Planet : एक्सोप्लैनेट का नाम WASP-193 b है। यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की चौड़ाई का लगभग 1.5 गुना है, लेकिन इसका द्रव्यमान बृहस्पति के दसवें हिस्से जितना है।
Super Jupiter : आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स समेत इंटरनेशनल वैज्ञानिकों की टीम ने पृथ्वी से लगभग 12 प्रकाश वर्ष दूर ‘सुपर-जुपिटर’ एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है।
इसकी सतह पर चट्टानें पिघले हुए रूप में मौजूद हैं और इनसे लगातार गैसे निकल रही हैं जो इसके वातावरण में भरी हुई हैं। यानी यहां पर मैग्मा का महासागर मौजूद है।
एक एग्जोप्लेनेट अंतरिक्ष में दिखाई दिया है जिसका नाम TOI-715 b है। यह हमारी पृथ्वी से 1.5 गुना बड़ा है। इसका अपना सोलर सिस्टम है जो कि 137 प्रकाशवर्ष दूर मौजूद है।
Nasa New Study : नासा की एक स्टडी में 17 एक्सोप्लैनेट्स का पता लगाया गया है। अनुमान है कि इन ग्रहों में मौजूद बर्फ की सिल्लियों के नीचे कोई महासागर छुपा हुआ हो सकता है।
खगोलविदों ने पृथ्वी जैसे दो ‘सुपर-अर्थ’ एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) का पता लगाया है। ये अपने सूर्य का चक्कर उस क्षेत्र में लगाते हैं, जो रहने के काबिल हो सकता है।
खगोलविदों ने एक एक्सोप्लैनेट में रिपीट होने वाले सिग्नलों को ट्रेस किया है, जो यह जानने में मदद कर सकते हैं कि एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र मौजूद हो सकता है।
अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी और बकनेल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर्स Sebastian Pineda और Jackie Villadsen ने YZ Ceti से लगातार रेडियो सिग्नल मिलने का पता लगाया है