सोमवार, 1 मार्च को भारत सरकार द्वारा 4G स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू की गई थी, जो मंगलवार तक चली। नीलामी का आरक्षित मूल्य करीब चार लाख करोड़ रुपये था। टेलीकॉम सचिव अंशु प्रकाश (Anshu Prakash) ने बताय कि दो दिनों तक चली इस नीलामी में 77,814.80 करोड़ रुपये का 855.60 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा गया। इस दौरान लगी बोलियां 800Mhz, 900Mhz, 1800Mhz, 2100Mhz और 2300Mhz बैंड के लिए थी। खास बात यह है कि इस नीलामी के दौरान 700Mhz और 2500Mhz बैंड के लिए कोई बोली नहीं लगी।
नीलामी के लिए पेश किए गए कुल स्पेक्ट्रम में से 700Mhz बैंड का हिस्सा एक-तिहाई था। बता दें कि 2016 की नीलामी में इस स्पेक्ट्रम को किसी ने नहीं खरीदा था। NBT की
रिपोर्ट कहती है कि एक्सपर्ट्स का मानना है कि गीगाहर्ट्ज़ बैंड की तुलना में मेगाहर्ट्ज़ बैंड ज्यादा सस्ते हैं और इनमें नए उपकरणों की आवश्यकता नहीं है, इसलिए ज्यादातर टेलीकॉम ऑपरेटर्स नए स्पेक्ट्रम में निवेश नहीं करना चाहते।
2021 की स्पेक्ट्रम नीलामी में जियो ने 57,122.65 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम हासिल किया। वहीं, दूसरी ओर भारती एयरटेल ने द्वारा जारी बयान में बताया गया कि इस नीलामी में कंपनी ने 18,699 करोड़ रुपये की रेडियोवेव्ज़ अधिग्रहित की।Vi (Vodafone Idea) ने नीलामी में 1,993 करोड़ रुपये खर्च किए। Airtel ने 355.45Mhz, मिड बैंड और 2300Mhz बैंड हासिल किया है। अब एयरटेल के पास सबसे मजबूत स्पेक्ट्रम है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि इस स्पेक्ट्रम के साथ वे भविष्य में 5G कनेक्टिविटी उपलब्ध करा सकते हैं।
कंपनी ने यह भी कहा है कि गीगाहटर्ज़ सबरीजन में स्पेक्ट्रम मिलने के चलते अब शहरों में उसकी सर्विस बेहतर होंगी और कवरेज भी बढ़ जाएगा। 700Mhz की नीलामी पर Airtel ने कहा कि इस बैंड के लिए बोली उन्होंने बोली इसलिए नहीं लगाई, क्योंकि आर्थिक लिहाज से यह बैंड उनके लिये उपयोगी नहीं है। इस बैंड का आरक्षित मूल्य भी काफी ऊंचा रखा गया था।