रिलायंस इंड्रस्टी के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने सोमवार को कहा कि उनकी टेलीकॉम कंपनी ‘जियो’ कोई जुआ नहीं है बल्कि व्यापार के लिए सोच- विचार के बाद लिया गया फैसला है। उन्होंने ‘‘इंटरकनेक्टिविटी’’ की समस्या को किसी मेधावी छात्र की ‘‘रैगिंग’’ किए जाने के समान बताया।
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता और बरखा दत्ता के स्वामित्व वाले डिजिटल मीडिया संगठन ‘‘द प्रिंट’’ द्वारा आयोजित ‘ऑफ द कफ’ में अबांनी ने कहा कि यह कोई जुआ नहीं है। यह एक सोचा समझा, अच्छी तरह तैयार किया गया ‘पारिस्थितिकी तंत्र’ है। इसमें 2,50,000 करोड़ रूपए का निवेश किया गया है। वह नये बिजनेस में 1,50,000 करोड़ रूपये के निवेश के ‘जोखिम’ के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे। हालांकि, उन्होंने कंपनी के मॉडल के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।
जियो से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के बारे में उन्होंने कहा कि हां, उनके सामने मुसीबतें थीं। उन्होंने इसकी तुलना किसी प्रतिभाशाली छात्र के अपनी काबिलियत के सहारे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेने लेकिन मेधावी होने के कारण छात्रावास में रैगिंग का शिकार होने से की। अंबानी ने कहा, ''इन मुसीबतों को सकारात्मक तरीके से लेने की जरूरत है। सिद्धांत अलग है और व्यवस्था अलग है व व्यवस्था को चलाने के लिए नीतियां अलग हैं। ''
जियो लॉन्च के बारे में बात करते हुए अंबानी ने कहा, अंबानी ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य पैसे कमाने के साथ-साथ ज्यादा ग्राहकों को सुविधा देने की है। हालांकि, उन्होंने बताया कि शेयरधारकों की वजह से स्टॉक वेल्यू को बढ़ाना उनका कर्तव्य है।
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