'जियो के आने से डिजिटल मार्केटिंग को मिलेगा बढ़ावा'

रिलायंस जियो के आर्कषक ऑफर जिसमें मुफ्त कॉलिंग के डेटा महज 5 पैसे प्रति एमबी की दर से उपलब्ध है, से बड़े पैमाने पर देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा। एक प्रमुख विशेषज्ञ का यह कहना है।

'जियो के आने से डिजिटल मार्केटिंग को मिलेगा बढ़ावा'
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रिलायंस जियो के आर्कषक ऑफर जिसमें मुफ्त कॉलिंग के डेटा महज 5 पैसे प्रति एमबी की दर से उपलब्ध है, से बड़े पैमाने पर देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा। एक प्रमुख विशेषज्ञ का यह कहना है।

लायकोस इंटरनेट लि. के अध्यक्ष सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश रेड्डी का कहना है कि भारत में डिजिटल मार्केटिंग दुनिया की डिजिटल मार्केटिंग का बहुत छोटा सा हिस्सा है जो 200 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।

रेड्डी की कंपनी इंटरनेट विज्ञापन के क्षेत्र में 1998 में और इसकी वैश्विक मौजूदगी है। उन्होंने बताया, "इस बदलाव के साथ भारतीय बाजार वृहद वैश्विक बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो जाएगा।"

भारत में आमतौर पर टीवी और होर्डिग पर विज्ञापन ज्यादा दिए जाते हैं। रेड्डी आगे कहते हैं, "प्रयोक्ताओं की अगली पीढ़ी ज्यादातर मोबाइल पर ही होगी। अब हर कोई स्मार्टफोन को निहार रहा है और होर्डिग की तरफ देखने की किसी को फुर्सत नहीं है। तो आपको भी वहीं अपना विज्ञापन देना होगा।"

भारत अब तक डिजिटल मार्केट के क्षेत्र में इसलिए पिछड़ा हुआ था कि यहां इंटरनेट की मौजूदगी कम थी और लोग डेटा प्लान में ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते थे। लेकिन अब जियो के आने से इसमें परिवर्तन होगा। रेड्डी का कहना है कि दूरसंचार बाजार अब डेटा आधारित होगा, जिससे ऑनलाइन विज्ञापन का बाजार फलेगा-फूलेगा।

फिलहाल ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में अमेरिका की भागीदारी 50 फीसदी, यूरोप की भागीदारी 20 फीसदी और दक्षिण अमेरिका की भागीदारी 16-17 फीसदी है।

रेड्डी ने आईएएनएस को बताया, "रिलायंस ने सबकुछ नए सिरे से किया है। उनका जोर डेटा पर है। जबकि एयरटेल, वोडाफोन या आइडिया का जोर वॉयस पर है। इसलिए अब इस चलन में बड़ा बदलाव होनेवाला है।"

लेकिन रिलायंस कॉलिंग को मुफ्त देकर मुनाफा कैसे कमाएगी?

रेड्डी बताते हैं, "ऐसा ही सवाल तब उठ खड़ा हुआ था, जब 1998-2000 के दौरान इंटरनेट आया था। तब प्रति कॉल, प्रति मेगाबाइट के हिसाब से शुल्क वसूला जाता था। लेकिन अब इसका आम मूल्य निर्धारण है।"

राजस्व पाने के कई तरीके हैं। चूंकि जियो एक टेलीफोन कंपनी और इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) कंपनी दोनों है। इसलिए वे विज्ञापन और ग्राहकी से कमाई करेंगे।

यह तो केवल शुरुआत है। दूसरी कंपनियां जल्द ही उनका अनुसरण करेंगी। इसके नतीजे में देश के सबसे सुदूर क्षेत्र में भी इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी।
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