कोरोना महामारी (Covid 19) से दुनिया अभी उबरी ही थी कि एक और जानलेवा बीमारी अब सुनने में आ रही है। दुनियाभर में ये बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। इसे व्हाइट लंग सिंड्रोम (White Lung Syndrome) कहा जा रहा है। यह फेफड़ों की बीमारी है जो निमोनिया के नए प्रकार के स्ट्रेन से फैल रही है। चीन, डेनमार्क, अमेरिका और नीदरलैंड्स में इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीमारी मुख्य रूप से बच्चों में देखने में आ रही है, जिनकी उम्र 3 से 8 साल के बीच है।
White Lung Syndrome निमोनिया
बैक्टीरिया के नए स्ट्रेन का नतीजा बताया जा रहा है। जो दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल रहा है। Metro की
रिपोर्ट के अनुसार, इसे व्हाइट लंग सिंड्रोम इसलिए कहा गया है क्योंकि यह मुख्यत: फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। यह माइकोप्लाज्मा निमोनिया (mycoplasma pneumoniae) के कारण फैल रहा है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया एक ऐसा
संक्रमण बताया जा रहा है जिस पर एंटीबायोटिक दवाईयों का असर भी नहीं होता है। इसी वजह से यह बीमारी काफी खतरनाक बताई जा रही है।
डेनमार्क में इसका संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि यह वहां पर महामारी का रूप लेता जा रहा है। शुरुआती लक्षण कोरोना के जैसे सामने आ रहे हैं। नीदरलैंड्स में भी बच्चों में निमोनिया की शिकायतें बड़ी संख्या में सामने आ रही हैं। ऐसा ही हाल स्वीडन का भी बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, यह
बीमारी खांसने, छींकने, बात करने, गाना गाने, और यहां तक कि रोगी के पास सांस लेने से भी फैल रही है।
अमेरिका में भी इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसकी शुरुआत ओहियो से हुई है। यहां पर स्थिति गंभीर है और बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने की नौबत आ रही है। हालांकि यूएस मीडिया के अनुसार, सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डायरेक्टर की ओर से एक बयान में कहा गया है कि चीन में एक सांस संबंधी बीमारी में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जो कि देश के उत्तरी हिस्से में सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। यह नई बीमारी नहीं बताई गई है, बल्कि पहले से मौजूद पैथोजन जैसे कोविड, फ्लू, RSV, माइकोप्लाज्मा के ही केस हैं। लेकिन इनका संक्रमण बहुत अधिक संख्या में देखा जा रहा है।
क्या है व्हाइट लंग सिंड्रोम (White Lung Syndrome)व्हाइट लंग सिंड्रोम निमोनिया का ही गंभीर रूप है जिसमें फेफड़ों में जख्म हो जाते हैं, और इनका रंग भी बदल जाता है। इस बीमारी की असली वजह अभी पता नहीं लगाई जा सकी है, लेकिन माना जा रहा है कि यह बैक्टीरिया, वायरस और बाह्य वातावरण कारकों के एकसाथ मिलने के कारण पैदा हुआ संक्रमण है।