हम अपने सौरमंडल के बारे में जानते हैं कि इसके ग्रह सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। लेकिन क्या आप ये भी जानते हैं कि सौरमंडल में ग्रहों के अलावा भी लाखों ऐसे खगोलीय पिंड हैं जो बर्फ और धूल के बने हैं। इन्हें धूमकेतु (Comet) कहा जाता है। NASA कहती है कि धूमकेतु भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और ये धूल और बर्फ से बने बड़े बड़े खगोलीय पिंड होते हैं। अंतरिक्ष एजेंसी कहती है कि धूमकेतु आज से लगभग 4.6 खरब साल पहले बने थे जब सौरमंडल का निर्माण हुआ था। इन्हें इनकी जलती हुई या चमकती हुई पूंछ के कारण अधिक जाना जाता है।
आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि आखिर ये धूमकेतु आते कहां से हैं?
नासा का कहना है कि ये सौरमंडल के मध्य में मौजूद हैं। इनमें से कुछ तो नेप्च्यून ग्रह के ऑर्बिट के बाहर भी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ तो छोटे ऑर्बिट लाइफ वाले कॉमेट होते हैं जो सूरज का एक चक्कर लगाने में 200 साल का समय लेते हैं। दूसरे कॉमेट सौर मंडल के बाहरी छोर पर घूमते हैं जिसे ऊर्ट क्लाउट (Oort Cloud) कहा जाता है। इनके बारे में एजेंसी का कहना है कि ये सूरज का एक चक्कर लगाने में 25 हजार साल तक का वक्त ले लेते हैं।
हम अक्सर सुनते हैं कि कोई कॉमेट धरती की ओर आ रहा है और सूरज की तरफ जा रहा है। तो क्या सौरमंडल में प्रवेश करने पर कॉमेट जलने लगता है और खत्म हो जाता है? इसके बारे में अभी तक कोई ठोस उत्तर नहीं दिया जा सका है। लेकिन इतना कहा गया है कि जब वे किसी तारे या ग्रह के नजदीक आते हैं तो उस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण उसे खींचता है जिससे उसकी दिशा बदल जाती है और ग्रह से टकराव भी संभव है। अगर वह ग्रह से न टकराकर सूरज की ओर जाता है तो सूरज के पास जाकर खत्म हो जाता है।
कॉमेट्स के बारे में अधिक जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। कुछ साल पहले नासा ने अपने स्टारडस्ट मिशन के दौरान Comet Wild 2 नाम के धूमकेतु के कुछ टुकड़े जमा किए थे। इन्हें धरती पर वापस लाया गया था। वैज्ञानिकों ने इन टुकड़ों के अध्य्यन से पाया कि इनमें हाईड्रोकार्बन मौजूद है। ये वही केमिकल होते हैं जो जीवन का आधार माने जाते हैं। इसके अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपने मिशन Rosetta के दौरान भी ऐसे ही एक कॉमेट का अध्य्यन किया था। इसमें भी एजेंसी को हाइड्रोकार्बन की मौजूदगी मिली थी। कुल मिलाकर कहा जाए तो, धूमकेतु के बारे में पूर्ण जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है, लेकिन इतना जरूर कहा गया है कि ये भी दूसरे ग्रहों की तरह अंतरिक्ष में घूमते हैं और दूसरे ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होते हैं। इसलिए संभव है कि ये ग्रहों से टकरा भी सकते हैं।
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