मछलियों की दुनिया बहुत विशाल है। एक पोखर से समुद्र तक फैला उनका जीवन कई रहस्यों को समेटे हुए है। दुनियाभर की यूनिवर्सिटीज में मछलियों के व्यवहार और जीवन को समझने से जुड़ीं रिसर्च होती रहती हैं। ऐसी ही एक रिसर्च में सेंट्रल मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दिलचस्प जानकारी जुटाई है। उन्होंने पाया है कि सिक्लिड मछली (Cichlid fish), जो अपने अंडों को निषेचित (fertilised) करने के बाद करीब दो हफ्तों तक बच्चों को अपने मुंह में पालती है, उनमें से से 40 फीसदी बच्चों को खा जाती है। कुछ ऐसे सबूत भी मिले हैं, जो बताते हैं कि कई बार ये मछली तब अपने बच्चों को खा जाती है, जब वो परिपक्व होने वाले होते हैं और उन्हें मुंह से बाहर निकालने का वक्त आ जाता है।
इस नतीजे तक पहुंचने के लिए
रिसर्चर्स ने मछलियों की प्रजनन संबंधी आदतों (reproductive habits) के बारे में जानना शुरू किया। एक लैब में हुई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने देखा कि करीब 80 मछलियों ने निषेचित हुए अंडों को 2 सप्ताह तक तो अपने मुंह में रखा, इस दौरान उन्होंने नियमित रूप से खाना नहीं खाया।
रिसर्चर्स को लगता है कि शायद ये मछलियां अपने बच्चों को खाकर कुछ हासिल कर रही हैं। ऐसा भी हो सकता है कि इससे उनके स्वास्थ्य को कोई फायदा मिल रहा हो। वैज्ञानिक इस बात को भी दिलचस्प मान रहे हैं कि मछली अपने नवजात बच्चों को मुंह में रखकर कई दिन तक बिना खाए जीवित रहती है।
कुछ अन्य मछलियों की बात करें, तो शार्क (shark) को समुद्र के सबसे खतरनाक जीवों में से एक माना जाता है। समुद्र में लाखों साल पहले घूमने वाली व्हेल से भी बड़ी एक शार्क मेगालोडन (megalodon) सिर्फ 5 बाइट में व्हेल के आकार के क्रिएचर को खा सकती थी। यह विशाल शार्क जब अपना पेट भर लेती थी, तो फिर महीनों तक समुद्र में घूम सकती थी। रिसर्चर्स ने मेगालोडन का 3D मॉडल बनाकर यह निष्कर्ष निकाला है। मॉडल तैयार करने के लिए उन्होंने मछली के जीवाश्म का भी उपयोग किया।
नाक से पूंछ तक मेगालोडन लगभग 50 फीट (16 मीटर) की थी। इसका साइज एक स्कूल बस से भी बड़ा था। यह आज पाई जाने वालीं सफेद शार्क से आकार में लगभग दो से तीन गुना बड़ी थी। मेगालोडन के जबड़े बहुत बड़े थे, जिस वजह से वह आसानी से बाकी जीवों को खा जाती थी।