सूर्य (Sun) में हो रही हलचलों ने वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े तारे पर नजर बनाए रखने के लिए मजबूर कर दिया है। हमारा सूर्य अपने 11 साल के सौर चक्र से गुजर रहा है और अभी बहुत एक्टिव फेज में है। सूर्य में उभरे एक सनस्पॉट (Sunspot) के कारण बुधवार को उससे करीब 10 सोलर फ्लेयर्स निकले। इन सोलर फ्लेयर्स में एक M6 कैटिगरी का पावरफुल फ्लेयर भी था। इसकी वजह से अटलांटिक महासागर के ऊपर कुछ देर के लिए रेडियो ब्लैकआउट हो गया।
रिपोर्टों के अनुसार, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। सोलर फ्लेयर्स हमारे सौरमंडल के सबसे शक्तिशाली विस्फोट में से एक हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है। पृथ्वी की ओर लक्ष्य बनाकर निकलने वाले सोलर फ्लेयर सूर्य के वातावरण से निकलकर महज 8 मिनट में हमारे ग्रह तक पहुंच जाते हैं।
इन्हें तीव्रता के हिसाब से अलग-अलग कैटिगरी में बांटा जाता है। X क्लास फ्लेयर्स सबसे पावरफुल सौलर फ्लेयर होते हैं। उसके बाद M क्लास सोलर फ्लेयर्स का नंबर आता है। बुधवार को रिपोर्ट हुए ज्यादातर फ्लेयर्स M क्लास के थे। एकसाथ इतनी संख्या में निकले सोलर फ्लेयर्स ने वैज्ञानिकों को भी हैरान किया है। कुछ वैज्ञानिकों ने इस बारे में ट्वीट करके भी बताया।
सोलर भौतिक विज्ञानी, ‘कीथ स्ट्रॉन्ग' ने ट्वीट किया कि 3 और M फ्लेयर्स, जोकि M6, M3 और M2 क्लास के हैं और सभी AR3165 से निकले हैं। इसके बाद उन्होंने जानकारी दी कि कुल 10 सोलर फ्लेयर निकले हैं। कीथ ने एक्स क्लास सोलर फ्लेयर के निकलने की संभावना भी जताई। AR3165 ही वह सनस्पॉट है, जो हाल-फिलहाल सूर्य में दिखाई दिया है।
सोलर फ्लेयर्स के साथ कभी-कभी कोरोनल मास इजेक्शन (CME) भी होते हैं। ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।