हाल ही में हमारा ग्रह सूर्य पर फायर फिलामेंट का एक विशाल हिस्सा टूटने से पैदा हुई सौर वायु की चपेट में आया। शुरुआत में इस घटना के 20 या 21 जुलाई को होने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन ऐसा बुधवार को हुआ। हालांकि, यह चिंता की बात नहीं है, क्योंकि यह G1 जियोमैग्नेटिक तूफान हल्का था, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए कोई खतरा नहीं था। वास्तव में, अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी के अनुसार, इस घटना की वजह से पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में साफ औरोरा दृश्य देखने को मिले।
सूर्य पर मौजूद फिलामेंट सोलर मटेरियल के बादल होते हैं, जो शक्तिशाली मैग्नेटिक फोर्स के कारण इसके ऊपर मंडराते रहते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अनुसार, इन फिलामेंट को बेहद अस्थिर माना जाता है और ये कई दिनों या हफ्तों तक मौजूद रह सकते हैं।
SpaceWeather.com के
अनुसार, सोलर फिलामेंट्स को पहली बार 12 जुलाई को देखा गया था, जब एस्ट्रोनॉमर्स ने सूर्य के ब्राइट बैकग्राउंड के आगे काले धागे जैसी रेखाओं को देखा था। इसके बाद 15 जुलाई को, फूटने से पहले एक फिलामेंट सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में चला गया, जिसकी वजह से आग की एक विशाल घाटी पैदा हो गई, जिसकी लंबाई 3,84,400 km और गहराई 20,000 km थी। इस घाटी ने सोलर मटेरियल को हमारे ग्रह की ओर भेजा।
इस तरह के सोलर फिलामेंट पृथ्वी की दिशा में खतरनाक सोलर विंड (सौर वायु) धकेल सकते हैं, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) कहते हैं। सौर तूफानों को उनकी शक्ति के बढ़ते क्रम में G1, G2, और G3 के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी डॉ तमिथा स्कोव ने भी अपने
ट्वीट में सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने की संभावना की जानकारी दी थी।
यह भी कहा गया था कि इस G1 तूफान के कारण बिजली ग्रिड लाइनों में उतार-चढ़ाव हुआ था। इतना ही नहीं, कथित तौर पर इससे सैटेलाइट फंग्शन्स भी प्रभावित हुए।