सूर्य में हो रही गतिविधियों ने वैज्ञानिकों की चिंता को बढ़ाया है। हमारा सूर्य, सोलर मैक्सिमम की अवधि से गुजर रहा है। इस दौरान वह ज्यादा उग्र है और कोरोनल मास इजेक्शन (CME), सोलर फ्लेयर्स (Solar Flares) जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। सोलर मैक्सिमम की अवधि साल 2025 तक जारी रहने वाली है। इस वजह से पृथ्वी को आए दिन किसी ना किसी चुनौती का सामना करना होगा। 21 जून यानी बुधवार को भी सौर हवाएं (Solar Winds) हमारी पृथ्वी से टकराने वाली हैं। उससे ठीक पहले मंगलवार की रात एक सोलर फ्लेयर सूर्य से निकला और उसने पृथ्वी को प्रभावित किया।
सूर्य में बने सनस्पॉट जिसे AR3341 कहा जाता है, उससे सोलर फ्लेयर का विस्फोट हुआ। यह एक्स-क्लास सोलर फ्लेयर था, जो बेहद ताकतवर होते हैं। इसकी वजह से अमेरिका और कनाडा के कई क्षेत्रों में अस्थायी रूप से शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हुआ। स्पेसवेदरडॉटकॉम ने इस बारे में
बताया है।
कहा गया है कि सूर्य में बने AR3341 नाम के एक सनस्पॉट की वजह से 20 जून को एक्स क्लास का एक सोलर फ्लेयर निकला। उसने पृथ्वी के वायुमंडल को प्रभावित किया, जिससे अमेरिका और कनाडा के इलाकों में शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो गया। इसका असर कुछ मिनटों तक रहा।
क्या होते हैं सोलर फ्लेयर
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से
सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स, प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
सोलर फ्लेयर्स या कोरोनल मास इजेक्शन की घटनाएं सीधे तौर पर इंसानों को प्रभावित नहीं करतीं, लेकिन इनके असर से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है। पावर ग्रिड फेल हो सकते हैं। ये तूफान पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
सूर्य में हो रही गतिविधियों को बीते कई वर्षों से नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (एसडीओ) ट्रैक कर रही है। यह हर बड़े घटनाक्रम की जानकारी देती है, जिससे वैज्ञानिकों को उसके प्रभाव को समझने में मदद मिलती है।