अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) एक बार फिर से इंसान को चंद्रमा पर उतारने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए उसने आर्टिमिस मिशन तैयार किया है। मंगलवार को नासा ने माइक्रोवेव ओवन के साइज वाला क्यूबसैट (CubeSat) लॉन्च किया है। इसका पूरा नाम है- सिस्लुनार ऑटोनॉमस पोजिशनिंग सिस्टम टेक्नोलॉजी ऑपरेशंस एंड नेविगेशन एक्सपेरिमेंट (CAPSTONE)। क्यूबसैट कैपस्टोन को न्यूजीलैंड के माहिया प्रायद्वीप से लॉन्च किया गया।
फिलहाल यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा के रास्ते पर है। इस साल नवंबर में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद कैपस्टोन मिशन को तैनात किया जाएगा। यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा का परीक्षण करने वाले पहले अंतरिक्ष यान के रूप में काम करेगा। अपने काम से यह भविष्य के अंतरिक्ष यानों के लिए पैदा होने वाले खतरों को कम करने में मदद करेगा।
अंतरिक्ष यान में लगा डेडिकेटेड पेलोड फ्लाइट कंप्यूटर और रेडियो यह पता लगाएगा कि क्यूबसैट अपने ऑर्बिटल पाथ में कहां है। कुल मिलाकर यह फ्यूचर में चांद पर जाने वाले मिशनों के लिए एक नए रूट को टेस्ट करेगा। सबकुछ ठीक रहा, तो आर्टिमिस मिशन के तहत भेजे जाने वाले स्पेसक्राफ्ट को भी नए रूट से होकर चांद पर भेजा जा सकता है।
बात करें आर्टिमिस मिशन की, तो यह नासा के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोग्राम्स में से एक है। इसका मकसद 1970 के दशक के बाद पहली बार इंसान को चंद्रमा पर उतारना है। नासा का लक्ष्य लंबे समय के लिए चंद्रमा पर इंसान की मौजूदगी स्थापित करना है। इसके साथ ही मंगल पर जाने के लिए चंद्रमा को लॉन्चपैड में बदलना है। आर्टिमिस-1 इस जटिल सीरीज का पहला हिस्सा है। वहीं, SLS रॉकेट दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट होने जा रहा है, जो मिशन को तेजी से आगे भेजने में सक्षम होगा।
बीते दिनों अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने बताया था कि उसकी टीमें आर्टेमिस मिशन के प्रमुख हिस्सों को भी टेस्ट कर रही हैं, जिन्हें पहले दो मिशन के बाद लॉन्च किया जाना है। ये आर्टिमिस-3, 4 और 5 मिशन होंगे। आर्टेमिस-1 मिशन के जरिए चंद्रमा को एक्स्प्लोर किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट चार से छह सप्ताह में पृथ्वी से 280,000 मील की यात्रा करेगा। हालांकि मिशन की लॉन्चिंग में देरी हुई है।